(ललित के झा)
वाशिंगटन, 16 मई (भाषा) भारतीय मूल की दो अमेरिकी छात्राओं ने कहा है कि जो बाइडन प्रशासन को गाजा में युद्ध को लेकर युवाओं की आवाज सुननी चाहिए।
छात्राओं ने इजराइल का समर्थन न करने की मांग को लेकर पूरे अमेरिका में कॉलेज परिसरों में चल रहे विरोध प्रदर्शन के पक्ष में यह बात कही है।
इजराइल-हमास युद्ध को लेकर विरोध प्रदर्शन हाल के हफ्तों में अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेज परिसरों में फैल गया है। इस वजह से शैक्षणिक गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न हुए हैं और कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।
पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय की छात्रा आरा संपत ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘बहुत सारे छात्र वर्तमान में विभिन्न प्रकार के धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि शिक्षण संस्थान इजराइल से अपने संबंध तोड़ लें।’
गत वर्ष सात अक्टूबर को हमास के हमले और इजराइल के जवाबी हमले के बाद से छात्रों ने युद्ध के खिलाफ रैलियां, धरने, अनशन किए हैं और हाल ही में तंबू गाड़कर शिविर लगाकर भी प्रदर्शन किए हैं।
वे मांग कर रहे हैं कि उनके संस्थान आर्थिक रूप से इजराइल से अलग हो जाएं, जिनमें से कई बड़े पैमाने पर उसे चंदा देते हैं।
कई छात्रों ने अपने विश्वविद्यालयों से इजराइली संस्थानों के साथ शैक्षणिक संबंध भी समाप्त करने की मांग की है।
बाल्टीमोर निवासी छात्रा श्रेया श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि बाइडन प्रशासन हमें समझे और सुने तथा हमारा दमन जारी न रखे। उसे वास्तव में यह समझना चाहिए कि हम क्या चाहते हैं।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुझे लगता है आप छात्रों पर जितना अत्याचार करेंगे, जितना पीछे हमें धकेलेंगे, उतना ही हम भी पीछे धकेलेंगे। तो, ये सभी कानूनी कार्रवाई जो हो रही हैं, जितना अधिक विश्वविद्यालय वर्तमान स्थिति से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं, यह हमारे अंदर और अधिक जुनून जगा रहा है।’’
आरा और श्रेया ‘इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट’ नामक ‘थिंक टैंक’ के वार्षिक समारोह के तहत ‘यूथ हू इम्पैक्ट’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में शामिल हुईं।
समारोह को अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी बुधवार शाम को संबोधित किया। हैरिस को अपने भाषण के दौरान विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा।
दोनों छात्राओं ने कहा कि वर्तमान बाइडन प्रशासन गाजा में युद्ध को लेकर देश में युवाओं की भावनाओं को नहीं समझ रहा। उन्होंने कहा कि देशभर में कॉलेज परिसरों में हो रहे प्रदर्शन साफ संकेत देते हैं कि राष्ट्र की भावना इजराइल को समर्थन देने के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि इजराइल का समर्थन किया जाए, लेकिन प्रशासन हमारी बात नहीं सुन रहा।
आरा ने दावा किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रपति जो बाइडन का रुख युवाओं में मतदान के पैटर्न को प्रभावित करेगा।
भाषा वैभव योगेश मनीषा
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