नीरव के आत्महत्या के जोखिम पर मनोचिकित्सकों का पक्ष सुनेगी ब्रिटिश अदालत |

नीरव के आत्महत्या के जोखिम पर मनोचिकित्सकों का पक्ष सुनेगी ब्रिटिश अदालत

नीरव के आत्महत्या के जोखिम पर मनोचिकित्सकों का पक्ष सुनेगी ब्रिटिश अदालत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : June 28, 2022/8:18 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 28 जून (भाषा) भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किये जाने की स्थिति में उसके खुदकुशी की कोशिश करने के जोखिम के स्तर पर दो मनोचिकित्सकों की अलग-अलग राय पर लंदन का हाई कोर्ट उनका पक्ष सुनेगा। दो न्यायाधीशों की समिति ने मंगलवार को पहले से जारी अपील में सुनवाई के दौरान यह व्यवस्था दी।

न्यायाधीश जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और रॉबर्ट जे ने कहा कि संभवत: अक्तूबर में कोई तीन दिन 51 वर्षीय हीरा कारोबारी से जुड़े प्रत्यर्पण के मामले में साक्ष्यों की स्थिति में बदलाव पर ध्यान देने के लिहाज से महत्वपूर्ण सुनवाई के लिए अलग रखे जाएंगे।

नीरव मोदी भारत में पंजाब नेशनल बैंक ऋण घोटाले के मामले में करीब दो अरब डॉलर के धनशोधन और धोखाधड़ी के आरोपों में वांछित है और उसने यहां की एक निचली अदालत के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ पिछले साल मानसिक सेहत के आधार पर अपील दायर की थी।

अदालत ने कहा कि नीरव मोदी की मानसिक सेहत पर विशेषज्ञ राय देने वाले दो मनोचिकित्सकों के बीच मतभेद हैं। अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों को निर्देश दिया कि विशेषज्ञों के बीच बैठक कराई जाए ताकि मामलों पर एक ज्ञापन तैयार किया जा सके जिस पर वे सहमत हों।

भारतीय प्राधिकारों की तरफ से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के लिए हेलेन मैल्कम क्यूसी ने मामले में बचाव पक्ष द्वारा पेश की जाने वाली किसी अतिरिक्त सामग्री की सीमा तय करने की वकालत की।

नीरव की ओर से एडवर्ड फित्जगेराल्ड क्यूसी ने दावा किया कि डिस्ट्रिक्ट जज सैम गूजी ने पिछले साल फरवरी में उनके मुवक्किल के प्रत्यर्पण का आदेश देने में गलत परीक्षण को आधार बनाया है।

इस साल के आखिर में तीन दिन की अगली सुनवाई में कुछ अन्य मुद्दों पर विचार किया जा सकता है जिनमें मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक 12 में निजी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तथा भारत सरकार के आश्वासनों की प्रासंगकिता भी शामिल होगी। इसी बैरक में नीरव मोदी को प्रत्यर्पण के बाद सुनवाई से पहले रखे जाने की बात है।

अगर नीरव मोदी की अपील उच्च न्यायालय में स्वीकार कर ली जाती है तो उसे तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता, जब तक भारत सरकार सार्वजनिक महत्व के कानून के बिंदु पर उच्चतम न्यायालय में अपील की अनुमति पाने में सफल नहीं होती।

मामले से जुड़े अधिकारियों के अनुसार भारत सरकार ने उन परिस्थितियों के बारे में आश्वासन दिया है जिनमें नीरव को भारत में आत्मसमर्पण करने पर हिरासत में लिया जाएगा और उसकी ‘‘शारीरिक तथा मानसिक सेहत’ की देखभाल के लिए क्या सुविधाएं होंगी।

दिसंबर की अपील पर सुनवाई के दौरान नीरव की ओर से एडवर्ड फित्जगेराल्ड क्यूसी ने दलील दी थी, ‘‘उनके पहले ही आत्महत्या की कोशिश करने की आशंका है और मुंबई में उनकी हालत और बिगड़ सकती है।’’

इस बीच नीरव मोदी दक्षिण-पश्चिम लंदन में वैंड्सवर्थ अदालत में सलाखों के पीछे ही रहा है। उसे मार्च 2019 में गिरफ्तार किया गया था, तब से वह जेल में है।

भाषा वैभव नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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