प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करने के लिए संधि पर कनाडा में बातचीत में हुई प्रगति

प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करने के लिए संधि पर कनाडा में बातचीत में हुई प्रगति

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  • Publish Date - April 30, 2024 / 05:57 PM IST,
    Updated On - April 30, 2024 / 05:57 PM IST

ओटावा, 30 अप्रैल (एपी) प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए किसी संधि पर पहुंचने की खातिर विभिन्न देशों के बीच हो रही बातचीत में प्रगति हुई है और उनकी चौथे दौर की वार्ता कनाडा में मंगलवार को सुबह समाप्त हुई।

इस प्रक्रिया में पहली बार, वार्ताकारों ने प्रस्तावित वैश्विक संधि के मसौदे पर चर्चा की। प्लास्टिक प्रदूषण संबंधी अंतरसरकारी वार्ता समिति के प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों ने इसे स्वागत योग्य संकेत बताया और कहा कि निर्धारित पांच बैठकों में से इस चौथी बैठक में बातचीत विचारों के स्तर से बढ़कर संधि की भाषा तक पहुंच गई।

प्लास्टिक के उत्पादन की मात्रा को सीमित करने के विचार को लेकर विवाद है। प्लास्टिक उत्पादक देशों और कंपनियों तथा तेल और गैस निर्यातकों की कड़ी आपत्तियों को मसौदा में शामिल किया गया है। ज्सादातर प्लास्टिक का उत्पादन जीवाश्म ईंधन और रसायनों से किया जाता है।

ओटावा सत्र समाप्त होने के बीच समिति इस बात पर सहमत हुई कि इस वर्ष के अंत में दक्षिण कोरिया में अंतिम बैठक से पहले संधि पर काम जारी रखा जाएगा।

अंतिम सत्र की तैयारी इस बात पर केंद्रित होगी कि संधि के कार्यान्वयन को कैसे वित्तपोषित किया जाए, प्लास्टिक उत्पादों में खतरनाक रसायनों का आकलन किया जाए और उत्पाद डिजाइन पर गौर किया जाए। रवांडा के प्रतिनिधि ने कहा कि वार्ताकारों ने प्लास्टिक उत्पादन पर चर्चा नहीं कर मूल समस्या की उपेक्षा की।

‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ केमिकल एसोसिएशन’ के उद्योग प्रवक्ता स्टीवर्ट हैरिस ने कहा कि वार्ताकार ऐसी संधि चाहते हैं जो प्लास्टिक के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग पर केंद्रित हो।

उन्होंने कहा कि वे प्लास्टिक उत्पादन पर कोई सीमा नहीं चाहते हैं और उनका मानना है कि इस समझौते के जरिए रसायनों को विनियमित नहीं किया जाना चाहिए।

हैरिस ने कहा कि एसोसिएशन को इस बात की खुशी है कि सरकारें एक साथ आ रही हैं और विशेष रूप से वित्तपोषण और प्लास्टिक उत्पाद डिजाइन को लेकर अतिरिक्त काम पूरा करने के लिए सहमत हो रही हैं।

प्रभावी प्लास्टिक संधि की खातिर वैज्ञानिकों के समूह के दर्जनों वैज्ञानिक बैठक में वार्ताकारों को प्लास्टिक प्रदूषण पर वैज्ञानिक साक्ष्य पेश करने के लिए शामिल हुए ताकि गलत सूचना को दूर किया जा सके।

स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बेथानी कार्नी अल्मरोथ ने कहा, ‘मैंने कल सुना कि माइक्रोप्लास्टिक्स पर कोई आंकड़ा नहीं है, जो पूरी तरह से गलत है, माइक्रो और नैनोप्लास्टिक्स पर 21,000 प्रकाशन प्रकाशित हो चुके हैं।’

उन्होंने कहा कि विभिन्न ‘‘लॉबी’’ से जुड़े लोगों द्वारा वैज्ञानिकों को परेशान किया जा रहा है और उन्हें डराया जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र को भी सूचित किया है।

एपी अविनाश मनीषा

मनीषा