बचपन में स्क्रीन पर बिताया समय का बाद में असावधानी, अति सक्रियता से कोई संबंध नहीं : अध्ययन |

बचपन में स्क्रीन पर बिताया समय का बाद में असावधानी, अति सक्रियता से कोई संबंध नहीं : अध्ययन

बचपन में स्क्रीन पर बिताया समय का बाद में असावधानी, अति सक्रियता से कोई संबंध नहीं : अध्ययन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : November 13, 2021/1:05 pm IST

(मारिया कॉर्किन, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड)

ऑकलैंड, 13 नवंबर (द कन्वरसेशन) यह आशंका कि बचपन के दौरान बच्चों के मोबाइल, टीवी और लैपटॉप जैसे स्क्रीन वाले उपकरणों पर बिताए गए समय के कारण बाद के जीवन में बच्चों में असावधानी का कारण बन सकता है, यह परिजन और अनुसंधानकर्ताओं दोनों के लिए चिंता का बड़ा कारण है।

पहले के अध्ययनों ने प्री-स्कूल के बच्चों के स्क्रीन पर दिए गए समय और ध्यान देने की क्षमता में कठिनाइयों के बीच संबंधों को दर्शाया है।

लेकिन अनुसंधानकर्ताओं के बीच किसी भी तरह से आम सहमति नहीं है कि ऐसा कोई संबंध मौजूद है, और कई अध्ययनों में परस्पर विरोधी परिणाम देखने को मिले हैं।

‘ग्रोइंग अप इन न्यूज़ीलैंड’ (जीयूआईएनजेड) की जानकारियों पर आधारित दो अध्ययन आज के छोटे बच्चों के लिए संवादमूलक (इंटरैक्टिव) मीडिया के संदर्भ में, इस मुद्दे पर नया प्रकाश डाल सकते हैं।

पहले अध्ययन ने जांच की गई कि क्या ढाई साल से लगभग चार साल की उम्र के बच्चों के लिए प्रति दिन दो घंटे से अधिक समय स्क्रीन देखने से उनके साढ़े चार साल का होने पर उनके ध्यान देने की क्षमता में कमी और अति सक्रिया के लक्षण दिखते हैं।

इसके लिए हमने गुडमैन के सामर्थ्य और कठिनाइयां प्रश्नावली का इस्तेमाल कर लक्षणों को मापने की कोशिश की और पाया कि स्क्रीन समय के उच्च स्तरों और अधिक लक्षणों के बीच कोई संबंध नहीं था।

दूसरे अध्ययन में साढ़े चार साल की उम्र में बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम और असावधानी या अति सक्रियता के लक्षणों के बीच संबंध की जांच की गई। यहां, स्क्रीन टाइम और लक्षणों को एक ही समय पर मापा गया। हमने अधिक लक्षणों और उच्च स्तर के स्क्रीन टाइम के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध पाया।

ये दो निष्कर्ष बताते हैं कि स्क्रीन समय और असावधानी एवं अति सक्रियता के लक्षणों के बीच कोई कारण बताने वाला संबंध नहीं है। इसके बजाय, अधिक लक्षण प्रदर्शित करने वाले बच्चों के माता-पिता उन्हें स्क्रीन पर अधिक समय बिताने की इजाजत दे सकते हैं।

कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, और इनमें से एक कारक बच्चे की पसंद है। ज्यादातर बच्चे स्क्रीन टाइम का आनंद लेते हैं। उदाहरण के लिए, ‘अटेंशन डेफिसिट एंड हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ (एडीएचडी) वाले बच्चों के लिए, अपने साथ के लोगों से बातचीत अक्सर मुश्किल होती है, और ‘स्क्रीन टाइम’ अधिक सुखद और कम तनावपूर्ण विकल्प प्रदान कर सकता है।

जिन बच्चों को ध्यान की समस्या है, उनके लिए किताब पढ़ने जैसे मनोरंजन पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है। चमकीले रंगों और क्रिया के साथ स्क्रीन टाइम, उनका ध्यान आकर्षित कर सकता है और उनकी रुचि बनाए रख सकता है।

असावधानी या अतिसक्रियता के लक्षणों वाले बच्चे आमतौर पर बहुत सक्रिय और आवेग वाले होते हैं और माता-पिता को उन्हें व्यस्त रखने के लिए मोबाइल, लैपटॉप आदि देना मददगार हो सकता है।

हमारे निष्कर्षों का मतलब यह नहीं है कि पिछले निष्कर्ष गलत थे, क्योंकि ज्यादातर शोधों में से अधिकतर ने टेलीविजन पर ध्यान केंद्रित किया है। मीडिया परिदृश्य जिनमें प्रीस्कूल के बच्चे बढ़ रहे हैं वह आज काफी बदल गया है।

नई स्क्रीन प्रौद्योगिकियां आ गई हैं और, यकीनन, स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय की उच्च गुणवत्ता अब संभव है।

द कन्वरसेशन नेहा शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)