चीन का पाकिस्तान, श्रीलंका के कर्ज में डूबने से बीआरआई, सीपीईसी पर असर से इंकार |

चीन का पाकिस्तान, श्रीलंका के कर्ज में डूबने से बीआरआई, सीपीईसी पर असर से इंकार

चीन का पाकिस्तान, श्रीलंका के कर्ज में डूबने से बीआरआई, सीपीईसी पर असर से इंकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : August 18, 2022/9:52 pm IST

(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, 18 अगस्त (भाषा) चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी 147 अरब डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का बचाव करते हुए इसके भविष्य को लेकर आशंका जताने वाली खबरों को खारिज कर दिया।

कुछ खबरों में कहा गया कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग की इस रणनीतिक परियोजना का भविष्य धुंधला दिख रहा है क्योंकि पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश चीनी अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करने वाले ऋण को चुकाने में विफल रहे हैं।

कई ‘थिंक टैंक’ के हवाले से विभिन्न खबरों में कहा गया है कि बीआरआई और इसके तहत 60 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) एशिया से लेकर अफ्रीका तक के देशों के कर्ज में डूबने से अधर में लटक गया है। ये देश परियोजनाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं और ऋण का भुगतान करने में असमर्थ हैं या इनकार कर चुके हैं।

गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए चीनी परियोजना ऋण को भुगतान संतुलन में परिवर्तित कर रहे हैं। श्रीलंका पहले ही 51 अरब डॉलर के कर्ज भुगतान में चूक कर चुका है, जिसमें चीन से लिया गया कर्ज भी शामिल है, जबकि पाकिस्तान वित्तीय संकट के कगार पर है। श्रीलंका जैसी आर्थिक स्थिति से बचने के लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मदद पर निर्भर है।

बीआरआई और सीपीईसी, शी (68) की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं हैं, जिन्हें व्यापक रूप से इस साल के अंत में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की पांच साल में एक बार आयोजित होने वाली कांग्रेस द्वारा अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल के लिए समर्थन मिलने की उम्मीद है।

सीपीईसी को लेकर भारत ने चीन के समक्ष विरोध जताया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीआरआई के वित्तीय संकट में फंसने की खबरों का खंडन करते हुए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जुलाई तक चीन ने 149 देशों और 32 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बीआरआई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं।

वेनबिन ने कहा, ‘‘हमारे पास एक ट्रिलियन युआन (लगभग 147 अरब डॉलर) से अधिक की निवेश मात्रा है।’’ साथ ही, उन्होंने कहा कि चीन के 87 देशों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोगात्मक संबंध हैं।

वेनबिन ने कहा कि नौ साल पहले बीआरआई की परिकल्पना के बाद से चीन ने पारस्परिक परामर्श, दोनों पक्षों के फायदा के लिए सहयोग के सिद्धांतों के आधार पर संबंधित देशों के साथ काम किया है और उपयोगी परिणाम हासिल किए हैं।

हालांकि, कई थिंक टैंक के हवाले से आई खबरों में बीआरआई और सीपीईसी की एक धूमिल तस्वीर प्रस्तुत की गई। अमेरिका के विश्वविद्यालय ‘विलियम एंड मैरी’ में ऐडडाटा रिसर्च लैब के कार्यकारी निदेशक ब्रैड पार्क्स ने कहा कि चीन ‘‘परियोजना उधार से दूर और भुगतान संतुलन के लिए आपातकालीन बचाव ऋण देने की तरफ बढ़ रहा है।’’

‘ब्लूमबर्ग’ की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान और श्रीलंका को लगभग 26 अरब डॉलर का लघु और मध्यम अवधि का ऋण दिया है, क्योंकि उसका विदेशी कर्ज बुनियादी ढांचे से आपातकालीन राहत प्रदान करने की ओर स्थानांतरित हो गया है।

चीन के फुडन विश्वविद्यालय में ‘ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर’ द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों ने बीआरआई जुड़ाव में 100 प्रतिशत की कमी देखी है। जापानी मीडिया संस्थान ‘निक्केई’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे चीन की बीआरआई पहल के बारे में वित्तीय चिंताएं बढ़ रही हैं, कई देश उन परियोजनाओं को कम कर रहे हैं या छोड़ रहे हैं जो बीआरआई का हिस्सा हैं।

इन खबरों पर प्रतिक्रिया के लिए पूछे जाने पर, वेनबिन ने चीन-लाओस रेलवे, सर्बिया में पुल और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह जैसी बीआरआई की परियोजनाओं का जिक्र किया।

भाषा आशीष माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)