बैंकॉक, दो जुलाई (एपी) सेना के पिछले वर्ष म्यांमा में सत्ता पर काबिज होने के बाद चीन के विदेश मंत्री शनिवार को अपनी पहली यात्रा पर वहां पहुंचे। वह यहां एक क्षेत्रीय बैठक में हिस्सा लेंगे जिसे लेकर सरकार का कहना है कि यह उसकी वैधता को मान्यता है जबकि विपक्ष ने इसे शांति प्रयासों का उल्लंघन मानते हुए प्रदर्शन किया।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल, बागान के केंद्रीय शहर में लैंकांग-मेकांग सहयोग समूह की बैठक में म्यांमा, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम के समकक्षों के साथ शामिल होंगे।
समूह चीनी नेतृत्व वाली एक पहल है जिसमें मेकांग डेल्टा के देश शामिल हैं। चीन ने मेकांग के ऊपरी हिस्से पर 10 बांध बनाए हैं, जिस हिस्से को वह लैंगकैंग कहता है।
सैन्य सरकार के प्रवक्ता मेजर जनरल जा मिन तुन ने राजधानी नेपीता में शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि बैठक में विदेश मंत्रियों का शामिल होना म्यांमा की संप्रभुता और उसकी सरकार की मान्यता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि मंत्री समझौता ज्ञापनों और अनुबंधों पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने विस्तार से जानकारी नहीं दी। यह स्पष्ट नहीं है कि वांग सैन्य सरकार के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग से मिलेंगे या नहीं।
म्यांमा की सेना ने एक फरवरी, 2021 को आंग सान सू ची की चुनी हुई सरकार को बेदखल कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इसे लेकर देश भर में राष्ट्रव्यापी अहिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया जिसका सशस्त्र प्रतिरोध हुआ। संयुक्त राष्ट्र के कुछ विशेषज्ञ अब इसे गृहयुद्ध के रूप में चिह्नित करते हैं।
वांग आखिरी बार सू ची से मिलने के लिए म्यांमा गए थे, इससे ठीक तीन हफ्ते पहले सेना ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया था।
चीन म्यांमा का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और पुराना सहयोगी है। बीजिंग ने म्यांमा की खदानों, तेल और गैस पाइपलाइनों तथा अन्य बुनियादी ढांचों में अरबों डॉलर का निवेश किया है और रूस की तरह उसका प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता है।
एपी प्रशांत पवनेश
पवनेश
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