कम्प्युटर मॉडलिंग से मिलेगी एचआईवी टीके की खोज में मदद

कम्प्युटर मॉडलिंग से मिलेगी एचआईवी टीके की खोज में मदद

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  • Publish Date - April 22, 2022 / 12:54 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

(कुमिता तेवा दास, यूनिवर्सिटी सेन्स मलेशिया)

कुआलांलपुर, 22 अप्रैल (360 इंफो) एचआईवी के टीके के लिए खोज 1980 के दशक से जारी है जिसको लेकर कुछ उत्साहजनक सुराग मिले हैं, हालांकि कोई रामबाण उपाय नहीं मिला है। अब, पहले से कहीं अधिक व्यापक डेटा और कंप्यूटिंग शक्ति नए दृष्टिकोण प्रदान करती है।

टीके अक्सर स्वस्थ हुए व्यक्तियों की प्रतिरक्षा से विकसित होते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया में उत्पादित अणु – एंटीबॉडी – को अलग किया जा सकता है और विश्लेषण किया जा सकता है और टीके के अनुसंधान के लिए आधार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

हालांकि, एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली पर ही हमला करता है, सामान्य तंत्र को अक्षम करता है जो एक टीके को अपना काम करने में मदद करता है। दुनिया भर में कुछ ही व्यक्ति जो अब तक एचआईवी से ठीक हुए हैं, स्टेम सेल प्रतिरोपण से गुजरने के बाद स्वस्थ हुए हैं। उनके ठीक होने के लिए उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली में नाटकीय रूप से बदलाव किया गया था।

टीके के विकास का एक अन्य मार्ग भी है, जिसे क्षीण वायरस के रूप में जाना जाता है। ये मूल वायरस के संस्करण हैं जिन्हें संशोधित किया गया है ताकि वे गंभीर बीमारी का कारण न बनें। हालांकि एचआईवी के मामले में क्षीण संस्करण से सुरक्षा मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। एचआईवी वायरस भी अक्सर बदलता है, नए स्वरूप विकसित करता है, जो लगातार प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया खोजने को जटिल बनाता है।

इसने एचआईवी रोधी टीके के विकास के प्रयासों को हतोत्साहित नहीं किया है। हाल के वर्षों में, थाईलैंड के एक परीक्षण (आरवी 144) ने नए संक्रमणों को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया। परीक्षणों को अंततः रोक दिया गया क्योंकि 30 प्रतिशत को बहुत कम माना जाता है, लेकिन इसने यह उम्मीद उत्पन्न हुई कि एचआईवी का प्रभावी टीका एक दिन संभव हो सकता है।

(360इंफो.ओआरजी) अमित नरेश

नरेश