कोविड : वैज्ञानिकों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़े करने से ऊपर उठे मीडिया |

कोविड : वैज्ञानिकों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़े करने से ऊपर उठे मीडिया

कोविड : वैज्ञानिकों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़े करने से ऊपर उठे मीडिया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : July 24, 2021/5:20 pm IST

(ट्रिश ग्रीनहैल्ग और डोमिनिक विकिनसन, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड)

ऑक्सफोर्ड (ब्रिटेन), 24 जुलाई (द कन्वरसेशन) वैश्विक महामारी की जब शुरुआत हुई थी, उस वक्त साझा संकल्प और एकजुटता की अद्भुत भावना देखने को मिली थी। अपने जीवन में सबसे बड़े जन स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे लोग कमजोरों की रक्षा करने, स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों की सुरक्षा के लिए उठाये जाने वाले कदमों को लेकर बड़े पैमाने पर एकजुट थे।

उस वक्त भी निश्चित तौर पर कुछ मतभेद थे। उदाहरण के लिए, कुछ लोग कोविड के खतरे की गंभीरता को लेकर असहमत थे, कुछ लॉकडाउन को लेकर अलग-अलग राष्ट्रीय दृष्टिकोण के विवेक को लेकर, प्रतिबंधों के समय और मास्क की प्रभावशीलता को लेकर रायें अलग-अलग थीं।

हाल में, टीकों के वितरण के तरीके को लेकर, वैक्सीन पासपोर्ट ठीक तरीका है या नहीं और कई कुछ खास पेशों के लिए टीकाकरण अनिवार्य होना चाहिए, इन सभी बातों को लेकर असहमति थी।

कोविड प्रतिबंधों को सरकार की तरफ से हटा लेने के बाद, वैश्विक महामारी से कैसे निपटा जाए इसे लेकर विचारों में पहले से कहीं ज्यादा ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है जो ‘‘लॉकडाउन हटाने” और “लॉकडाउन नहीं हटाने” के विचारों से सहमत दो गुटों में बंटा हुआ है।

दो गुट

“लॉकडाउन खोलने” का समर्थन करने वाला गुट ब्रिटेन के सफल टीकाकरण कार्यक्रम (88 प्रतिशत आबादी को एक खुराक और 69 प्रतिशत को दूसरी खुराक) पर जोर देता है जिससे अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या और मौत के मामले घटे हैं। साथ ही बच्चो में मध्यम जोखिम का कोविड कम होने, प्रतिबंधों के कारण लोगों में संयम घटने और अर्थव्यवस्था की खातिर सामान्य स्थिति में लौटने की जरूरत पर जोर देते हैं।

वहीं “फिलहाल लॉकडाउन नहीं हटाने” का समर्थन करने वाला गुट अलग-अलग तथ्यों पर गौर करने के लिए कहता है। ब्रिटेन के लगभग हर क्षेत्र में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने की दर बढ़ रही है जिससे एनएचएस पर दबाव बढ़ रहा है। बच्चों में मध्यम कोविड भी लंबा हो सकता है जिसके दीर्घकालिक परिणाम अभी पता नहीं हैं।

इन दो खेमों में जारी बहस के साथ, मीडिया साक्षात्कारकर्ताओं ने इन दोनों गुटों के बीच आमने-सामने का मुकाबला रखना शुरू कर दिया है। हम विपरीत पक्षों के बीच इस तरह की बहस देखते रहे हैं और पाया है कि ऐसे तर्क केवल बहस को बढाते हैं लेकिन लोगों की समझ में आ सके ऐसी बहुत कम बातें सामने रखते हैं।

मीडिया प्रस्तोताओं का दोनों पक्ष की पत्रकारिता के जिरह से ऊपर उठना चाहिए जो पक्ष और विपक्ष दोनों की बात रखने की सतही लड़ाई की मांग करती है।

वक्त है कि हम समझे कि यह वैश्विक महामारी जटिल प्रणाली में सामने आ रही जटिल घटना है।

वैज्ञानिक अनुमान एवं अटकलें लगा सकते हैं लेकिन हम में से कोई पूरी तरह नहीं जानता है कि क्या सामने आ जाए। इतना ही नहीं, वैश्विक महामारी के बारे में फैसला लेने में आवश्यक तौर पर नैतिक अनिश्चितता शामिल होती है निजी स्तर पर भी और नीति बनाने के स्तर पर भी।

द कन्वरसेशन

नेहा उमा

उमा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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