अपने हमलावर को ‘प्रचार की ऑक्सीजन’ नहीं देना चाहता था: सलमान रश्दी

अपने हमलावर को ‘प्रचार की ऑक्सीजन’ नहीं देना चाहता था: सलमान रश्दी

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  • Publish Date - April 22, 2024 / 10:24 PM IST,
    Updated On - April 22, 2024 / 10:24 PM IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 22 अप्रैल (भाषा) बुकर पुरस्कार विजेता लेखक सलमान रश्दी ने अपने नये संस्मरण ‘नाइफ: मेडिटेशन्स आफ्टर ऐन अटेम्पटिड मर्डर’ में अपने हमलावर का नाम नहीं लेने के पीछे वजह बताई है कि उनका मकसद उसे ‘प्रचार की ऑक्सीजन’ से वंचित करना था।

मुंबई में जन्मे 76 वर्षीय ब्रिटिश-अमेरिकी उपन्यासकार ने रविवार को लंदन के साउथबैंक सेंटर में एक साहित्यिक समारोह को न्यूयॉर्क से वर्चुअल तरीके से संबोधित किया।

वह खुद पर चाकू से हुए नृशंस हमले के बारे में लेखिका और आलोचक एरिका वैग्नर से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने इस हमले के संस्मरण के रूप में हाल में लिखी किताब ‘नाइफ: मेडिटेशन्स आफ्टर ऐन अटेम्पटिड मर्डर’ में अपने हमलावर का नाम नहीं बताने और उसे ‘ए’ कहने का श्रेय पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर के ‘प्रचार की ऑक्सीजन’ (ऑक्सीजन ऑफ पब्लिसिटी) वाक्यांश को दिया, जिसका इस्तेमाल थैचर ने 1980 के दशक में आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) के हिंसक हमलों के संदर्भ में किया था।

रश्दी ने कहा, ‘‘यह वाक्यांश ‘प्रचार की ऑक्सीजन’ किसी तरह मेरे दिमाग में घूम रहा था। और, मैंने सोचा कि इस आदमी ने 27 सैकंड के लिए नाम कमा लिया था और अब इसे वापस इस स्थिति में चले जाना चाहिए कि उसका कोई वजूद नहीं है। मैं उसका नाम नहीं लूंगा। मैं अपनी किताब में उसका नाम नहीं लेना चाहता।’’

भाषा वैभव माधव

माधव