डोसा-बिरयानी ‘दोस्ती’ : भारतीय और पाकिस्तानी विद्यार्थियों ने एक दूसरे को समझने के लिए की चर्चा

डोसा-बिरयानी ‘दोस्ती’ : भारतीय और पाकिस्तानी विद्यार्थियों ने एक दूसरे को समझने के लिए की चर्चा

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  • Publish Date - August 12, 2022 / 07:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

दुबई , 12 अगस्त (भाषा) भारत और पाकिस्तान की आजादी की 75वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में आयोजित डिजिटल युवा संवाद कार्यक्रम के तहत भारत और पाकिस्तान के स्कूली विद्यार्थियों ने डोसा और बिरयानी का लुत्फ उठाते हुए अपने-अपने देशों की संस्कृति, व्यंजन, शिक्षा और प्रौद्योगिकी विकास पर चर्चा की।

इस कार्यक्रम का आयोजन ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत भारतीय शिक्षा इंटरप्राइज वाल-एड इनिशिएटिव और पाकिस्तान की लर्न अकादमी ने मंगलवार को किया था।

‘एक्सचेंज फॉर चेंज’ नाम से आयोजित संवाद कार्यक्रम में छठी से नौंवी कक्षा के 20 भारतीय और पाकिस्तानी विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रह रही 12 वर्षीय पाकिस्तानी छात्रा अलीजा फातिमा ने कहा, ‘‘हमें यह चर्चा कर बहुत अच्छा लगा कि क्या डोसा , बिरयानी से अधिक लोकप्रिय है। इससे भी अहम है कि हमने दोनों देशों की संस्कृति, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और अन्य विषयों पर भी चर्चा की।’’

फातिमा के अपने स्कूल में भारतीय दोस्त हैं, लेकिन उसकी खुशी और बढ़ गई जब उसे भारत में उसी के हमउम्र छात्रों से संवाद करने का मौका मिला।

यह कार्यक्रम शांतिपूर्ण समझ बनाने और दोनों देशों के भविष्य को वैश्विक नागरिक बनाने के विचार से किया गया था ताकि वे राष्ट्रीयता से अधिक मानवता को महत्व दें।

फातिमा ने कहा कि भारत के हमउम्र बच्चों से बात करने का शानदार अनुभव रहा।

उन्होंने कहा, ‘‘वे बेहतर अंग्रेजी बोलते हैं और मैं उनकी ऊर्जा, गर्मजोशी और उत्सुकता की कायल हूं। यह किसी अन्य ऑनलाइन कार्यक्रम की तरह ही था जो अकसर इन दिनों होते रहे हैं, लेकिन यह इस मायने में खास था कि हमें बहुत कुछ सीखने को मिला।’’

फातिमा ने कहा कि दोनों देशों में इतनी समानता है जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।

इस संवाद में शामिल हुई तमिलनाडु के मदुरै स्थित लक्ष्मी पब्लिक स्कूल की छात्रा जी.अराधना ने कहा, ‘‘महिला असमानता,गरीबी, जलवायु परिवर्तन और उसका वर्षा पर असर सबसे बड़ी चुनौती है जिनपर भारत को तत्काल कार्य करना चाहिए।’’

अन्य छात्रा हरशिदा सुनील ने कहा कि संवाद सत्र ने ‘‘मुझे पड़ोसी देश को समझने में मदद की …इसने निश्चित तौर पर मेरी मानसिकता बदली है।’’

भाषा धीरज नरेश

नरेश