ऑस्ट्रेलिया के आम चुनाव में अर्थव्यवस्था, चीन और जलवायु प्रमुख मुद्दे

ऑस्ट्रेलिया के आम चुनाव में अर्थव्यवस्था, चीन और जलवायु प्रमुख मुद्दे

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  • Publish Date - May 20, 2022 / 03:29 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

कैनबरा, 20 मई (एपी) ऑस्ट्रेलिया में आम चुनाव के लिये शनिवार को मतदान होगा, जिसमें महामारी के कारण बढ़ी महंगाई, जलवायु परिवर्तन और चीन से संभावित सैन्य खतरा प्रमुख मुद्दा है। चीन ऑस्ट्रेलियाई तट से 2000 किलोमीटर से भी कम दूरी पर अपना सैन्य अड्डा बना रहा है।

इस बीच प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का कन्जरवेटिव गठबंधन चौथी बार सरकार बनाने की उम्मीद कर रहा है। मॉरिसन ने अप्रैल में चुनाव प्रचार अभियान शुरू किया था। इस दौरान उन्होंने मौजूदा सरकार पर भरोसा कायम रखने का आग्रह किया। मॉरिसन का कहना है कि उनकी सरकार कोविड-19 महामारी के चलते होने वाली मौतों को काबू में रखने में कामयाब रही है।

ऑस्ट्रेलिया में महामारी के शुरुआती दो साल के दौरान जितनी मौतें हुईं, उनके मुकाबले इस साल अब तक दोगुनी से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

ऑस्ट्रेलिया में इस साल कोविड-19 के चलते अब तक करीब आठ हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले साल 2020 और 2021 में केवल 2,239 लोगों की मौत हुई थी।

महामारी और यूक्रेन युद्ध के चलते ऑस्ट्रेलिया में महंगाई बढ़ी है। इसके चलते लेबर पार्टी की तुलना में कन्जरवेटिव पार्टी के बेहतर आर्थिक प्रबंधक होने की धारणा पर संशय पैदा हो गया है।

मार्च तिमाही में वार्षिक वृद्धि दर के बढ़कर 5.1 प्रतिशत पहुंच जाने बाद केंद्रीय बैंक ने 11 साल में पहली बार अपनी आधारभूत ब्याज दर 0.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.35 प्रतिशत कर दी।

इसके अलावा चीन की ओर से बढ़ता खतरा भी ऑस्ट्रेलिया के आम चुनाव में छाया हुआ है। चीन ने हाल में ऑस्ट्रेलिया के निकट मौजूद सोलोमन द्वीप के साथ सैन्य समझौता किया है, जिसको लेकर ऑस्ट्रेलिया चिंतित है।

ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि युद्ध होने की स्थिति में चीन सोलोमन का इस्तेमाल सैन्य अड्डे के रूप में कर सकता है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया सरकार ने वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 26 से 28 प्रतिशत की कटौती करने का लक्ष्य रखा है। वहीं लेबर पार्टी का कहना है कि वह कार्बन उत्सर्जन में 43 प्रतिशत तक की कमी लाने की प्रयास करेगी।

हालिया ओपीनियन पोल के अनुसार लेबर पार्टी अभी कन्जरवेटिव गठबंधन से मामूली अंतर से आगे है। लेकिन चुनाव अनुमानों की विश्वसनीयता पर यकीन नहीं किया जा सकता, क्योंकि साल 2019 में हुए चुनाव में सभी अनुमान धराशायी हो गए थे।

एपी जोहेब संतोष

संतोष

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