आंखों की गति बताती है कि मातृभाषा कैसे प्रभावित करती है पढ़ने की शैली

आंखों की गति बताती है कि मातृभाषा कैसे प्रभावित करती है पढ़ने की शैली

आंखों की गति बताती है कि मातृभाषा कैसे प्रभावित करती है पढ़ने की शैली
Modified Date: November 10, 2025 / 11:16 am IST
Published Date: November 10, 2025 11:16 am IST

( विक्टर कुपरमेन एवं नादिया लाना – मैकमास्टर यूनिवर्सिटी, ओल्गा पारशीना – मिडलबरी कॉलेज )

हैमिल्टन, 10 नवंबर (द कन्वरसेशन) एक नये वैश्विक अध्ययन में दावा किया गया है कि व्यक्ति की मातृभाषा उसके पढ़ने के तरीके को प्रभावित करती है और आंखों की गति से यह पता लगाया जा सकता है कि लोग अलग-अलग भाषाओं में पाठ को कैसे समझते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि पढ़ना एक जटिल संज्ञानात्मक कौशल है, जो व्यक्ति के करियर और सामाजिक गतिशीलता का संकेतक होता है। किसी नए देश में आने वाले लोगों की सफलता अक्सर इस बात पर निर्भर करती है कि वे नई भाषा में कितना धाराप्रवाह पढ़ सकते हैं।

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शोधकर्ताओं के अनुसार, भाषा पर पकड़ और पढ़ने की क्षमता रोजगार तथा सामाजिक सहभागिता के लिए सबसे अहम कारक है। कनाडा समेत कई देशों में रिकॉर्ड संख्या में प्रवासी बस रहे हैं, ऐसे में दूसरी भाषा में पढ़ने के कौशल को विकसित करने के तरीकों को समझना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

विश्व के विभिन्न लेखन तंत्र

पढ़ने की प्रक्रिया पर अब तक अधिकतर वैज्ञानिक अध्ययन अंग्रेजी पर केंद्रित रहे हैं। लेकिन सभी भाषाओं के लेखन तंत्र एक समान नहीं होते। कुछ भाषाएं अक्षरों का प्रयोग करती हैं (जैसे अंग्रेजी, तुर्किश), कुछ लोगोग्राफ (जैसे चीनी, जापानी), और कुछ मात्रा या अक्षरीय प्रतीकों का (जैसे हिंदी) उपयोग करती हैं। कुछ भाषाएं बाएं से दाएं (रूसी, स्पैनिश) पढ़ी जाती हैं, जबकि कुछ दाएं से बाएं (अरबी, हिब्रू) पढ़ी जाती हैं।

इसी विविधता के बीच यह सवाल उठता है कि क्या लोग अपनी मातृभाषा में पढ़ने की जो रणनीतियां अपनाते हैं, वे दूसरी भाषा सीखने में भी उन्हीं रणनीतियों का उपयोग करते हैं। ‘मल्टीलिंगुअल आई-मूवमेंट कॉर्पस’ (एमईसीओ) नामक परियोजना इन्हीं प्रश्नों का उत्तर खोजने का प्रयास कर रही है।

क्या है एमईसीओ

एमईसीओ परियोजना में 40 से अधिक देशों के शोधकर्ता शामिल हैं, जो पढ़ते समय आंखों की गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए समान पद्धति का उपयोग करते हैं। इसमें कैमरे की मदद से यह देखा जाता है कि व्यक्ति किन शब्दों पर नजर टिकाता है, कौन से शब्द दोबारा पढ़ता है और किन्हें छोड़ देता है।

सभी प्रयोगशालाएं समान अंग्रेजी पाठ का उपयोग करती हैं, साथ ही प्रतिभागियों की मातृभाषा में भी अनुवादित पाठ पढ़ाया जाता है, ताकि तुलना की जा सके।

अध्ययन में पाया गया कि किसी व्यक्ति का मातृभाषा में पढ़ने का तरीका उसकी दूसरी भाषा में पढ़ने की शैली को भी प्रभावित करता है। लगभग आधे मामलों में दूसरी भाषा में आंखों की गतिविधियां पहली भाषा की आदतों से समझाई जा सकती हैं।

उदाहरण के लिए, कोरियाई लेखन प्रणाली में शब्द छोटे होते हैं और अधिक जानकारी समाहित करते हैं, इसलिए कोरियाई पाठक कई शब्द छोड़ते हुए तेजी से पढ़ते हैं। वहीं फिनिश भाषा में शब्द लंबे होते हैं, जिससे पाठक अधिक समय तक एक-एक शब्द पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये प्रवृत्तियां वे दूसरी भाषा में भी लेकर आते हैं।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि पाठ की समझ और आंखों की गति में फर्क होता है। दूसरी भाषा में पढ़ते समय कई प्रतिभागियों ने अंग्रेज़ी के मूल वक्ताओं जितनी समझ दिखाई, लेकिन उनकी आंखों की गतिविधियां अधिक प्रयासपूर्ण थीं — यानी वे शब्दों को दोबारा पढ़ते और लंबे समय तक देखते रहे।

अनुसंधान का व्यापक प्रभाव

चीनी विज्ञान अकादमी में पारंपरिक मंगोलियाई लिपि पर शोध कर रही याकियान बोरोगजून बाओ ने कहा, “एमईसीओ ने मुझे सटीक और कठोर शोध का ढांचा प्रदान किया। उम्मीद है कि यह अन्य शोधकर्ताओं को भी कम अध्ययन वाली भाषाओं पर काम करने के लिए प्रेरित करेगा।”

ब्राज़ील की ‘फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ मिनस गेरैस’ में शिक्षण और शिक्षा की छात्रा मरीना लीटे ने कहा कि एमईसीओ से प्राप्त आंकड़े ब्राज़ीलियाई पुर्तगाली में पढ़ने की समझ और साक्षरता रणनीतियों को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं का मानना है कि बहुभाषी कक्षाओं में जहां छात्र कई भाषाओं में संतुलन साधते हैं, वहां इस तरह के अध्ययन शिक्षकों और नीति निर्माताओं को अधिक प्रभावी शिक्षण रणनीतियां बनाने में सहायता कर सकते हैं।

( द कन्वरसेशन ) मनीषा वैभव

वैभव


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