जर्मनी के चांसलर शोल्ज ने दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों के साथ संबंधों को व्यापक बनाने पर जोर दिया

जर्मनी के चांसलर शोल्ज ने दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों के साथ संबंधों को व्यापक बनाने पर जोर दिया

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  • Publish Date - May 26, 2022 / 09:16 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:36 PM IST

(बरुण झा)

दावोस, 26 मई (भाषा) भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपने जुड़ाव को रेखांकित करते हुए जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों के साथ संबंधों को व्यापक बनाने पर बृहस्पतिवार को जोर दिया और कहा कि इससे बहुध्रुवीय दुनिया बहुआयामी बन सकेगी।

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक 2022 को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम महसूस कर रहे हैं कि बहुध्रुवीय दुनिया में रहने का क्या मतलब है। शीत युद्ध की द्विध्रुवीयता अतीत का उतना ही हिस्सा है, जितना कि जब अमेरिका एकमात्र शेष वैश्विक शक्ति थी, भले ही अमेरिका दुनिया में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बना रहेगा।’’

चीन को लेकर शोल्ज ने कहा, ‘‘मैं उन रिपोर्टो को बहुत ज्यादा महत्व नहीं देता हूं जिनमें अमेरिका और चीन के बीच एक नई द्विध्रुवीयता के संकेत दिये गये है। चीन विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण देश है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि हमें चीन को अलग-थलग कर देना चाहिए, और न ही यह एशिया और उसके बाहर चीनी आधिपत्य के दावों को प्रदर्शित करता है, खासकर जब से हम एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका में उभरती हुई नई और महत्वाकांक्षी शक्तियों को देख रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम देखते हैं कि दुनिया में कहीं भी मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, तो यह नहीं भूल सकते कि इनमें शिनजियांग का मामला भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि जो काम करने की जरूरत है, वह यह है कि एक बहुध्रुवीय दुनिया भी एक बहुपक्षीय दुनिया बन जाए। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के बिना उस तरह की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था संभव नहीं होगी। इसलिए हम कई साझेदारियों में निवेश कर रहे हैं। मूलमंत्र विविधीकरण है। हमें दुनिया के लोकतंत्रों के साथ जुड़ने की जरूरत है।’’

शोल्ज ने कहा, ‘‘यही कारण है कि मैंने जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत सहित विभिन्न देशों के नेताओं को आमंत्रित करने का प्रयास किया है। जर्मनी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ जुड़ने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है और इसलिए मैंने अपने मित्र और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को इस महीने की शुरुआत में बर्लिन आमंत्रित किया।’’

यूक्रेन में युद्ध के बारे में बात करते हुए शोल्ज ने कहा कि जर्मनी रूसी तेल और गैस पर अपनी निर्भरता समाप्त करने की योजना बना रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा संकट वास्तव में जर्मनी जैसे औद्योगिक राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं और इसलिए हम अपनी अर्थव्यवस्था को बदलने की योजना बना रहे हैं।’’

शोल्ज ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में युद्ध जीतने नहीं दिया जा सकता। उन्होंने रूसी ईंधन पर किसी भी तरह की निर्भरता को समाप्त करने का भी आह्वान किया।

यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता का विरोध करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य स्पष्ट है – हम पुतिन को यह युद्ध जीतने नहीं दे सकते हैं।’’

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश