हार्वर्ड की विदेशी छात्रों के दाखिले की पात्रता रद्द, भारत समेत कई देशों के विद्यार्थियों पर असर |

हार्वर्ड की विदेशी छात्रों के दाखिले की पात्रता रद्द, भारत समेत कई देशों के विद्यार्थियों पर असर

हार्वर्ड की विदेशी छात्रों के दाखिले की पात्रता रद्द, भारत समेत कई देशों के विद्यार्थियों पर असर

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Modified Date: May 23, 2025 / 09:56 AM IST
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Published Date: May 23, 2025 9:56 am IST

(योषिता सिंह)

न्यूयॉर्क, 23 मई (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता को रद्द कर दिया है जिससे विश्वविद्यालय में वर्तमान में पंजीकृत लगभग 800 भारतीय छात्रों समेत हजारों छात्रों की कानूनी स्थिति को लेकर चिंता उत्पन्न हो गई है।

ट्रंप प्रशासन ने एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत गृह मंत्रालय को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्र एवं शैक्षणिक विनिमय प्रवेश कार्यक्रम (एसईवीपी) प्रमाणन को समाप्त करने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया।

संघीय एजेंसी ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता और मौजूदा विदेशी छात्रों को अपना कानूनी दर्जा खोना होगा या कहीं और जाना होगा।’’

अमेरिका की गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मैं आपको यह सूचित करने के लिए पत्र लिख रही हूं कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्र एवं शैक्षणिक विनिमय प्रवेश कार्यक्रम का प्रमाणन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।’’

इस घटनाक्रम से हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर भी असर पड़ने का खतरा है। वर्तमान में हार्वर्ड में दुनिया भर से लगभग 10,158 छात्र और शोधकर्ता पंजीकृत हैं।

‘हार्वर्ड इंटरनेशनल ऑफिस’ की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार हार्वर्ड विश्वविद्यालय के तहत सभी स्कूल में शिक्षण सत्र 2024-25 में भारत के 788 छात्र और शोधार्थी पंजीकृत हैं।

‘हार्वर्ड ग्लोबल सपोर्ट सर्विसेज’ ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि हर साल 500-800 भारतीय छात्र और शोधकर्ता हार्वर्ड में अध्ययन करते हैं।

पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में एशियाई अमेरिकी, मूल हवाई द्वीप निवासी और प्रशांत द्वीपसमूह (एएएनएचपीआई) आयोग के सलाहकार रहे अजय भुटोरिया ने एक बयान में ‘पीटीआई’ से कहा कि एक भारतीय-अमेरिकी के रूप में समुदाय के लिए अवसर को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध होने और आव्रजन नीतियों के एक मजबूत समर्थक होने के नाते वह ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से ‘‘अत्यधिक नाराज’’ हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष नौ अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान देते हैं और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों को मजबूत करते हैं तथा प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में अक्सर नवोन्मेष का नेतृत्व करते हैं।

भुटोरिया ने कहा, ‘‘यह नीति हार्वर्ड में पढ़ रहे 500 से अधिक भारतीय छात्रों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है जिसके कारण उन्हें अगले शैक्षणिक वर्ष के शुरू होने से पहले ही अमेरिका छोड़ने या देश में किसी और जगह स्थानांतरित होने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों की सर्वाधिक कुशाग्र प्रतिभाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले इन छात्रों ने हार्वर्ड की शिक्षा के लिए अपने सपनों, वित्त और भविष्य का निवेश किया है लेकिन राजनीतिक रूप से प्रेरित इस हमले के कारण उनकी आकांक्षाएं चकनाचूर हो गई हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह वह अमेरिका नहीं है जिसके लिए हम खड़े हैं – अमेरिका युवाओं के लिए अवसरों का प्रकाशस्तंभ होना चाहिए, न कि डर का स्थान।’’

भाषा सिम्मी वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)