नोबेल सम्मान के बाद किस दिशा में बढ़ेगा प्राचीन डीएनए अध्ययन |

नोबेल सम्मान के बाद किस दिशा में बढ़ेगा प्राचीन डीएनए अध्ययन

नोबेल सम्मान के बाद किस दिशा में बढ़ेगा प्राचीन डीएनए अध्ययन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : October 5, 2022/6:09 pm IST

मैरी प्रिंडरगस्ट (एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ एंथ्रोपोलोजी, राइस यूनिवर्सिटी)

ह्यूस्टन, पांच अक्टूबर (दि कन्वरसेशन) पहली बार नोबेल पुरस्कारों में मानवता के अध्ययन यानी मानव विज्ञान के क्षेत्र को भी मान्यता दी गई है।

चिकित्सा के क्षेत्र में इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार ‘मानव के क्रमिक विकास’ पर खोज के लिए स्वीडिश वैज्ञानिक स्वैंते पैबो को देने की घोषणा की गई है। पैबो प्राचीन डीएनए के अध्ययन के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं। उन्हें प्राचीन कंकाल अवशेषों से निकाले गए डीएनए को अनुक्रमित करने और आरंभिक मानव जीनोम के पुनर्निर्माण जैसी उपलब्धियों के लिए यह सम्मान दिया गया है।

पैबो की उपलब्धि एक समय जुरासिक पार्क-शैली की विज्ञान कथाओं का आधार होती थी। लेकिन पैबो और उनके सहयोगियों ने हमारे दूर के रिश्तेदारों के जीनोम को एक साथ जोड़ दिया।

आरंभिक मनुष्यों के साथ और उनके बीच अंतर-प्रजनन की वजह से उनके अनुवांशिक निशान आज भी हम में से कई में जीवित हैं और हमारे शरीर और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को आकार देते हैं। इसे कोविड-19 महामारी के संदर्भ में भी देखा जा सकता है।

पैबो और उनकी टीम की अभूतपूर्व खोजों के बाद से दुनिया को पिछले वर्षों में मानव मूल के बारे में चौंकाने वाली जानकारी मिली है और पेलोजेनोमिक्स के क्षेत्र का तेजी से विस्तार हुआ है।

वस्तुत: पेलोजेनोमिक्स विलुप्त प्रजातियों में जीनोमिक जानकारी पर आधारित विज्ञान का एक क्षेत्र है।

वैज्ञानिकों ने अब मैमथ जीव का अनुक्रमण किया है जो एक लाख साल पहले पृथ्वी पर रहते थे। प्राचीन डीएनए के विश्लेषण से अमेरिकियों की उत्पत्ति से लेकर घोड़ों और कुत्तों जैसे जानवरों को पालतू बनाने, पशुधन के प्रसार और हमारे शरीर के अनुकूलन से लेकर दूध पीने तक जैसे सवालों के उत्तर मिले हैं।

प्राचीन डीएनए से विवाह, नातेदारी और आवाजाही से जुड़े सामाजिक प्रश्नों के बारे में भी जानकारी मिलती है। शोधकर्ता अब न केवल प्राचीन मनुष्यों, पशुओं और पौधों के अवशेषों से, बल्कि गुफा में छोड़े गए उनके निशानों से भी डीएनए का अनुक्रमण कर सकते हैं।

अनुसंधान में इस वृद्धि के साथ ही, लोग उस रफ्तार से भी चिंतित हैं जिनसे दुनिया भर में कंकालों से एडीएनए के लिए नमूने लिए गए हैं। इसके बारे में गहन चर्चा हो रही है कि शोध कैसे किया जाना चाहिए।

इन शोधों का संचालन किसे करना चाहिए? इससे किसे नफा हो सकता है या किसे नुकसान हो सकता है और कौन सहमति देता है? और यह क्षेत्र और अधिक निष्पक्ष कैसे हो सकता है? एक पुरातत्वविद के रूप में, मैं प्राचीन अफ्रीकी इतिहास के अध्ययन के लिए आनुवंशिकीविदों के साथ साझेदारी करता हूं तथा मुझे आगे चुनौतियां और अवसर, दोनों दिखते हैं।

एक सकारात्मक संकेत है कि अंतर-विषयी शोधकर्ता अनुसंधान डिजाइन और आचरण के लिए मूलभूत दिशानिर्देश तय करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

(दि कन्वरसेशन) अविनाश नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)