भारत कानून के शासन को अपने राष्ट्रीय शासन का आधारस्तंभ मानता है: तन्खा

भारत कानून के शासन को अपने राष्ट्रीय शासन का आधारस्तंभ मानता है: तन्खा

भारत कानून के शासन को अपने राष्ट्रीय शासन का आधारस्तंभ मानता है: तन्खा
Modified Date: October 9, 2025 / 08:06 pm IST
Published Date: October 9, 2025 8:06 pm IST

संयुक्त राष्ट्र, नौ अक्टूबर (भाषा) भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा तथा वैश्विक शांति एवं सुरक्षा में सार्थक योगदान के लिए अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि वह अपने संविधान में निहित कानून के शासन को अपने राष्ट्रीय शासन की आधारशिला मानता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की छठी समिति एजेंडा मद 84 के 80वें सत्र में भारत का वक्तव्य देते हुए, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने बुधवार को राष्ट्रीय शासन प्राथमिकताओं में कानून के शासन के महत्व को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत अपने संविधान में निहित कानून के शासन को अपने राष्ट्रीय शासन की आधारशिला मानता है जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता तथा कानूनी सहायता कार्यक्रमों जैसी न्याय तक पहुंच बढ़ाने वाली पहलों के माध्यम से सुदृढ़ होता है।’’

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उन्होंने कहा कि भारत में, कानून का शासन प्रक्रियात्मक और वास्तविक, दोनों स्तरों पर कार्य करता है: यह राज्य द्वारा मनमानी कार्रवाई को रोकता है, कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है, और शासन की सभी शाखाओं और स्तरों में लोकतांत्रिक जवाबदेही को समाहित करता है।

तन्खा ने कहा कि कानून के शासन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने और इसके राष्ट्रीय कानूनी ढांचे को मज़बूत करने के लिए तीन नए आपराधिक कानून की रूपरेखा पेश की गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन सुधारों का उद्देश्य एक अधिक पारदर्शी, जन-केंद्रित और चुस्त तंत्र स्थापित करना है जो साइबर अपराध जैसी उभरती चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो।’’

उन्हेांने कहा कि सरकार नए कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करने और कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां भी चला रही है। इन उपायों का उद्देश्य भ्रष्टाचार से निपटने, पुराने कानूनों का आधुनिकीकरण करने और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देकर जनता का विश्वास और संस्थागत प्रभावशीलता बढ़ाना है।

तन्खा ने कहा कि भारत ड्रोन और आभासी मुद्राओं के दुरुपयोग जैसे उभरते खतरों का सामना करने के लिए अपने कानून प्रवर्तन उपायों को भी अपना रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन उपायों के माध्यम से, भारत राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने और वैश्विक शांति एवं स्थिरता में सार्थक योगदान देने की अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का दृढ़ विश्वास है कि सहकारी बहुपक्षवाद ही आगे बढ़ने का एकमात्र स्थायी रास्ता है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।’’

तन्खा ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुधार इस विश्व निकाय को 21वीं सदी की जटिल और परस्पर जुड़ी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए उपयुक्त बनाएंगे।

भाषा वैभव नरेश

नरेश


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