भारत 2030 तक शायद सभी क्षेत्रों की अगुवाई करे : रिचर्ड वर्मा |

भारत 2030 तक शायद सभी क्षेत्रों की अगुवाई करे : रिचर्ड वर्मा

भारत 2030 तक शायद सभी क्षेत्रों की अगुवाई करे : रिचर्ड वर्मा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : August 3, 2021/10:24 am IST

(ललित के. झा)

वाशिंगटन, तीन अगस्त (भाषा) अमेरिका के पूर्व शीर्ष राजनयिक रिचर्ड वर्मा का कहना है कि 2030 तक भारत शायद सभी क्षेत्रों में अगुवाई करेगा और विश्व के दो बड़े लोकतंत्र एकसाथ मिलकर काफी कुछ कर सकते हैं।

वर्मा ने सोमवार को कहा, ‘‘ अगर में 2030 की बात करूं तो मैं उदाहरण के लिए, भारत को विश्व के लगभग सभी क्षेत्रों की अगुवाई करते हुए देखता हूं..सबसे अधिक आबादी वाला देश, सबसे अधिक स्नातक लोग, बड़ी संख्या में मध्यम-वर्ग, बड़ी संख्या में मोबाइल फोन तथा इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोग, तीसरी सबसे बड़ी सेना और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ, 25 साल से कम उम्र के 60 करोड़ लोगों के साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सभी मिलकर रहेंगे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आज हमारी आंखों के सामने भारत में बड़े पैमाने पर विकास हो रहा है। करीब 2000 अरब डॉलर अगले एक दशक में बुनियादी ढांचों के विकास पर खर्च किए जाएंगे। 2030 के लिए आवश्यक अधिकांश बुनियादी ढांचे का निर्माण अभी बाकी है। यही कारण है कि आज करीब 100 नए हवाईअड्डों की योजना बनाई जा रही है या उनका निर्माण किया जा रहा है।’’

‘जिंदल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस’ को संबोधित करते हुए भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत ने कहा कि भारत के युवा छात्र एशिया में सबसे युवा कार्यबल हैं।

‘ड्राइविंग शेयर्ड प्रोसपेरिटी: अमेरिका-भारत संबंधों के लिए 21वीं सदी की प्राथमिकता’ पर वर्मा ने कहा, ‘‘ आप इसका फायदा 2050 तक उठा सकते हैं। यह काफी दुर्जय है।’’

भारत में पहले भारतीय-अमेरिकी दूत ने कहा, ‘‘ हमने 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन की भारत यात्रा के साथ इस युग की शुरुआत की थी। दशकों बाद वह एक सफल यात्रा थी…’’

वर्मा ने कहा कि अब रिश्ते निभाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे लोगों के लिए कुछ करने का समय आ गया है…आज यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह हमारे लिए यहां अमेरिका में काफी रोचक है और आप सभी के लिए भारत में भी..खासकर जब आप अपनी पढ़ाई और फिर अपने करियर की शुरुआत करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वैश्विक महामारी या आतंकवाद से निपटना हो या उन सभी नए नवाचारों और समाधानों को बाजार में लाना, जो लोगों के जीवन को आसान, सुरक्षित, अधिक समृद्ध, अधिक समावेशी और अधिक सुरक्षित बना देंगे। हम यह कर सकते हैं। हमने अभी वह लक्ष्य हासिल नहीं किया है लेकिन हम वह जरूर हासिल कर सकते हैं।’’

भाषा निहारिका शाहिद

शाहिद

 

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