भारतीय चिकित्सक ने यूक्रेन में फंसे पालतू जगुआर, तेंदुए को बचाने का भारत से आग्रह किया |

भारतीय चिकित्सक ने यूक्रेन में फंसे पालतू जगुआर, तेंदुए को बचाने का भारत से आग्रह किया

भारतीय चिकित्सक ने यूक्रेन में फंसे पालतू जगुआर, तेंदुए को बचाने का भारत से आग्रह किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : October 5, 2022/3:02 pm IST

(तस्वीर के साथ)

(अदिति खन्ना)

लंदन, पांच अक्टूबर (भाषा ) यूक्रेन में रूसी हमले के बाद अपने पालतू जगुआर और तेंदुए को वहां छोड़कर देश से बाहर निकलने पर मजबूर हुए एक भारतीय चिकित्सक ने भारत सरकार से उसके पालतू जानवरों को बचाने का आग्रह किया है।

जगुआर कुमार के नाम से जाने जाने वाले डॉ. गिडीकुमार पाटिल ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता अपने जगुआर यश और मादा तेंदुए सबरीना को बचाना है।

मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले पाटिल (42) को आय के वैकल्पिक स्रोत की तलाश में देश से बाहर जाना पड़ा था। उन्होंने अपने पालतू जानवरों को पूर्वी यूक्रेन के लुहांस्क में एक स्थानीय किसान के पास छोड़ा है।

कीव में भारतीय दूतावास पाटिल की मदद नहीं कर पाया, जिसके बाद उन्होंने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

पोलैंड के वारसा में रह रहे पाटिल ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘मेरा विनम्र संदेश है कि इन जानवरों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए और उन्हें तत्काल सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सर्वश्रेष्ठ समाधान खोजने पर विचार किया जाए और इस दिशा में तेजी से काम किया जाए।’’

पाटिल ने कहा कि वह अपने पालतू जानवरों के बिछड़ जाने से बहुत दुखी हैं, उन्हें उनकी याद सताती है और उनके कुशल-क्षेम की चिंता होती है, जिसके कारण वह स्वयं को कभी-कभी अवसादग्रस्त महसूस करते हैं।

पाटिल ने इन दोनों जानवरों को करीब दो साल पहले कीव स्थित एक चिड़ियाघर से खरीदा था और वह तभी से उनकी देखभाल कर रहे थे।

पाटिल के यूट्यूब चैनल पर 62,000 सब्सक्राइबर हैं। पाटिल अपने चैनल पर अपने जानवरों से जुड़ी जानकारी देते रहते थे। उनका कहना है कि वह विलुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा में मदद करने के लिए एक प्रजनन परियोजना की खातिर पर्याप्त निधि एकत्र करना चाहते हैं।

बीबीसी के अनुसार, पाटिल को कपड़ों के एक बैग, 100 डॉलर और कुछ हजार रूबल के साथ यूक्रेन छोड़कर जाना पड़ा।

उसने बताया कि पाटिल के पालतू जानवर रोजाना पांच किलोग्राम मांस खाते हैं और युद्ध आरंभ होने के बाद पाटिल को उनके भोजन की व्यवस्था के लिए रोजाना 300 डॉलर खर्च करने पड़ते थे। हालात बिगड़ने पर पाटिल ने उन्हें एक संरक्षक को सौंपकर सीमा पार जाकर धन कमाने और बाद में लौटने का फैसला किया। उन्होंने जानवरों के तीन महीने के भोजन का प्रबंध कर दिया है और उनके संरक्षक को तीन महीने के वेतन के रूप में 2,400 डॉलर दिए हैं।

भाषा सिम्मी मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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