(जोआन ऑरलैंडो, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी)
सिडनी, 10 सितंबर (द कन्वरसेशन) आस्ट्रेलिया की संघीय सरकार ने बच्चों को सोशल मीडिया से प्रतिबंधित करने के लिए एक राष्ट्रीय योजना बनाने की प्रतिबद्धता जताई है।
इसके बारे में अब भी पर्याप्त जानकारी नहीं है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने स्वीकार किया है कि ‘कोई भी सरकार हर बच्चे को हर खतरे से बचाने में सक्षम नहीं होगी, लेकिन हमें वह सब करना होगा जो हम कर सकते हैं”।
लेकिन बच्चों को सोशल मीडिया से प्रतिबंधित करने से युवाओं को ऑनलाइन होने वाले नुकसान की समस्या हल नहीं होगी, इससे समस्या और भी गंभीर हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जब बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाली उम्र के हो जाते हैं, तब भी उन्हें कई समान समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
युवाओं को सुरक्षित तरीके से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने में मदद करने का सबसे अच्छा तरीका उनकी सोशल मीडिया साक्षरता में सुधार करना है।
सोशल मीडिया साक्षरता क्या है?
सोशल मीडिया साक्षरता का अर्थ है सोशल मीडिया पर आपके द्वारा देखी जाने वाली विषय-वस्तु को समझना और उसके बारे में गंभीरतापूर्वक सोचना और यह जानना कि वह वहां क्यों है।
यह समझना जरूरी है कि आपके सोशल मीडिया ‘फीड’ में जो तस्वीरें और वीडियो दिखाई देते हैं वे संयोग से नहीं आते हैं। वे ‘एल्गोरिदम’ की वजह से आते हैं।
यह आपकी व्यक्तिगत डेटा का इस्तेमाल करके आपकी रुचियों को बेहतर ढंग से समझते हैं और यह पता लगाते हैं कि आप किस तरह की सामग्री से अधिक जुड़ना चाहते हैं।
यही कारण है कि हर किसी की सोशल मीडिया ‘फीड’ अलग-अलग होती है।
हम नहीं जानते कि ये एल्गोरिदम कैसे काम करते हैं, क्योंकि फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया मंच इन्हें गुप्त रखते हैं। हालांकि कुछ शोधकर्ता इसे बदलने के लिए काम कर रहे हैं।
इस समय दुनिया भर में डिजिटल मीडिया साक्षरता की भारी कमी है। यहां तक कि इंटरनेट युग में पैदा हुए और सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग करने वाली युवा पीढ़ी में भी डिजिटल मीडिया साक्षरता की कमी है।
मैंने इस अज्ञानता की कमी को खुद देखा है। मैंने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के लगभग 300 विश्वविद्यालय के छात्रों को सोशल मीडिया के बारे में बताया। उनमें से ज्यादातर ने कभी उन एल्गोरिदम के बारे में नहीं सुना था जो तय करते हैं कि उन्हें सोशल मीडिया पर क्या देखना है।
सशक्तिकरण का संदेश
सोशल मीडिया साक्षरता की कमी इस क्षेत्र में शिक्षा की व्यापक कमी को दर्शाती है।
अब जो न्यूनतम सोशल मीडिया साक्षरता की शिक्षा दी जाती है वह भी काफी नकारात्मक और रक्षात्मक है। जब मैं युवा लोगों से बात करता हूं तो वे कहते हैं कि वयस्क उन्हें वे सभी चीजें बताते हैं जो उन्हें नहीं करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, ‘सोशल मीडिया पर बहुत अधिक समय न बिताएं, अपना फोन बंद कर दें’।
युवाओं को सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग करने, इससे जुड़े जोखिमों से बचने तथा इससे मिलने वाले लाभों का अनुभव करने में मदद करने के लिए इसी प्रकार के अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
बच्चों और अभिभावकों के लिए कक्षाएं
युवाओं में सोशल मीडिया साक्षरता को बेहतर बनाने के लिए स्कूल कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।
विषय की जटिलता और आकार को देखते हुए इसके लिए विशेष कक्षाएं चलायी जानी चाहिए। अगर इसे अंग्रेजी या गणित जैसे अन्य विषयों की सामग्री में जोड़ा जाएगा तो यह आसानी से खो सकता है या भूल सकता है।
ये कक्षाएं प्राथमिक विद्यालय के बाद के वर्षों में शुरू होनी चाहिए जब अधिकांश बच्चे फोन का इस्तेमाल करने वाले होते हैं। इस अवधि के दौरान उनका प्रौद्योगिकी का उपयोग वास्तव में बदल जाता है और इससे पहले कि वे ऐसे व्यवहार विकसित करें जिसे वयस्क होने पर वे अपनाएं हमें उन्हें सोशल मीडिया साक्षरता के बारे में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
बच्चों के लिए इन कक्षाओं के साथ-साथ स्कूल अभिभावकों के लिए भी सोशल मीडिया साक्षरता कक्षाएं चला सकते हैं क्योंकि वे अक्सर अपने बच्चों को सोशल मीडिया पर जानकारी देने में पूरी तरह से असहाय महसूस करते हैं।
कई स्कूल पहले से ही साल में एक बार अभिभावकों के लिए साइबर सुरक्षा पर चर्चा आयोजित करते हैं। हालांकि सामग्री काफी दोहराव वाली है और इंटरनेट के खतरों पर केंद्रित है। यह अभिभावकों की मदद करने वाला भी नहीं है। जब मैं उनसे बात करता हूं तो वे मुझे बताते हैं कि वे अक्सर इन कक्षाओं से यह महसूस करते हुए चले जाते हैं कि समस्या को ठीक करना बहुत कठिन है।
माता-पिता को सोशल मीडिया साक्षरता और सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोगों के बारे में बेहतर शिक्षा देने से उन्हें अपने बच्चों की मदद करने में मदद मिलेगी। सोशल मीडिया और जिस तरह से हम इसका उपयोग करते हैं उसमें कई परतें हैं। इसलिए माता-पिता के लिए यह शिक्षा इन कई अलग-अलग तरह के विशेषज्ञों द्वारा दी जानी चाहिए। इनमें डेटा साइंटिस्ट, समाजशास्त्री, वीडियोग्राफर और मानव व्यवहार शोधकर्ता शामिल हैं।
लेकिन स्कूल अकेले यह महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकते। अगर सरकार वाकई बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहती है तो उसे सोशल मीडिया पर बच्चों पर प्रतिबंध लगाने से कहीं अधिक कुछ करने की जरूरत है।
सोशल मीडिया साक्षरता कार्यक्रमों के बेहतर विकास और वित्तपोषण में सहायता की आवश्यकता है।
(द कन्वरसेशन) शुभम रंजन
रंजन
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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