अंतरराष्ट्रीय प्रेस निगरानी संस्था ने बांग्लादेश में कैद पत्रकारों की रिहायी की मांग की
अंतरराष्ट्रीय प्रेस निगरानी संस्था ने बांग्लादेश में कैद पत्रकारों की रिहायी की मांग की
ढाका, नौ दिसंबर (भाषा) प्रेस के लिए एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस से देश में कैद पत्रकारों को तुरंत रिहा करने की अपील की है। संस्था ने कहा है कि उनमें से कम से कम चार पत्रकार “राजनीति से प्रेरित हत्या के आरोप” के तहत जेलों में बंद हैं।
यूनुस को संबोधित एक पत्र में ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ (सीपीजे) ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में वर्तमान में चार पत्रकार हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं। इन आरोपों के लिए विश्वसनीय साक्ष्य का अभाव है और ऐसा प्रतीत होता है कि ये आरोप उनकी रिपोर्टिंग और कथित राजनीतिक संबद्धता के प्रतिशोध में लगाए गए हैं।’’
पत्र में चार पत्रकारों, फरजाना रूपा, शकील अहमद, मोजम्मिल बाबू और श्यामल दत्त के परिवारों के हवाले से कहा गया है कि वे उच्च सुरक्षा वाली काशिमपुर जेल में बंद हैं जहां ‘चिकित्सा देखभाल बेहद अपर्याप्त है।’
पत्र में कहा गया है कि उन्हें ऐसी परिस्थितियों में रखा जा रहा है जो ‘‘गंभीर मानवाधिकार चिंताएं’’ पैदा करती हैं।
न्यूयॉर्क-सीपीजे ने कहा कि पिछले साल आठ अगस्त को अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से जेल में बंद इन चार पत्रकारों के खिलाफ हत्या के नये आरोप लगाए गए हैं, जबकि उनकी जमानत याचिकाओं को ‘‘बार-बार खारिज’’ किया गया है।
दस दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस से पहले जारी किए गए पत्र में कहा गया है, ‘‘कई पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जेड आई खान पन्ना का नाम भी हत्या के एक मामले में है।’’
पुलिस ने पत्रकार दंपति फरजाना रूपा और शकील अहमद को अगस्त 2024 में गिरफ्तार किया था, जबकि बाबू और दत्त को पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किया गया था।
एक अन्य पत्रकार अधिकार समूह ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (आरएसएफ) ने पिछले महीने कहा था कि पांच प्रमुख बांग्लादेशी पत्रकार जेल में हैं, जिनमें पांचवां स्वतंत्र पत्रकार शहरयार कबीर हैं।
छठे पत्रकार, मोनजुरुल आलम पन्ना को 75 दिन हिरासत में रखने के बाद पिछले महीने जमानत पर रिहा किया गया था।
भाषा अमित दिलीप
दिलीप

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