खराब व्यवहार के लिए छात्रों को निष्कासित करना क्या ठीक है?

खराब व्यवहार के लिए छात्रों को निष्कासित करना क्या ठीक है?

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  • Publish Date - May 8, 2024 / 02:07 PM IST,
    Updated On - May 8, 2024 / 02:07 PM IST

(लिंडा जे. ग्राहम, क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय)

क्वींसलैंड, आठ मई (द कन्वरसेशन) छात्राओं की रैंकिंग सूची में शामिल होने के कारण मेलबर्न के एक निजी स्कूल के दो छात्रों को निष्कासित कर दिया गया है।

पिछले शुक्रवार को यारा वैली ग्रामर से निलंबित किए गए ये दोनों छात्र उन चार हाई स्कूल छात्रों के समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों की तस्वीरों की एक स्प्रेडशीट साझा की थी, जिसमें उन्हें ‘वाइफिस’, ‘क्यूटीज़’ और ‘अनरैपेबल’ जैसे शब्दों के साथ रैंकिंग दी गई थी।

जैसा कि प्रिंसिपल मार्क मेरी ने मंगलवार को अभिभावकों को लिखे एक पत्र में कहा, उन्होंने ‘यह विचार बना लिया है’ कि दो छात्रों की स्थिति ‘अस्थिर हो गई है’। दो अन्य छात्र जिन्होंने ‘छोटी भूमिका’ निभाई, उन्हें ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ का सामना करना पड़ेगा। स्कूल उन लड़कियों को कल्याण सहायता प्रदान कर रहा है जिन्हें निशाना बनाया गया था।

इस सप्ताह की शुरुआत में, निलंबन को शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर की मंजूरी मिल गई, जिन्होंने एबीसी को बताया, “मुझे खुशी है कि स्कूल ने यह कदम उठाया। मुझे लगता है कि उन्होंने उस तरह की कार्रवाई की है जिसकी समुदाय अपेक्षा करेगा।”

इस प्रकार के व्यवहार के लिए छात्रों को निष्कासित या निलंबित करना कार्रवाई का स्पष्ट तरीका प्रतीत होता है। लेकिन क्या यह एक अच्छा विचार है?

स्कूल छात्रों को निलंबित या निष्कासित क्यों करते हैं?

किसी छात्र को निलंबित या निष्कासित करना गंभीर समस्याग्रस्त व्यवहार का अंतिम उपाय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह या तो सुधार के लिए जगह देता है या ऐसे व्यवहार के परिणामस्वरूप होता है जिससे अन्य छात्रों की सुरक्षा या सीखने को खतरा होता है।

यारा वैली ग्रामर के मामले में, निलंबन और निष्कासन से स्कूल की लड़कियों, अन्य छात्रों, अभिभावकों और व्यापक जनता को यह संदेश जाता है कि इस व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

स्प्रेडशीट पर इतने अधिक मीडिया और जनता के ध्यान के साथ, निलंबन और निष्कासन स्कूल की प्रतिष्ठा की रक्षा करने में मदद करते हैं।

जाहिर तौर पर कुछ भयावह व्यवहार हुआ है और इस पर कड़ी प्रतिक्रिया की जरूरत है। लेकिन व्यवहार को किसी भी तरह से नजरअंदाज किए बिना, इन छात्रों को स्कूल से बाहर निकालना इस स्थिति को संभालने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है, जो कि एक बहुत बड़ी समस्या का लक्षण है।

निलंबन और निष्कासन के बारे में शोध क्या कहता है?

आमतौर पर, जब किसी छात्र को निष्कासित किया जाता है, तो परिणाम उस बच्चे के लिए सकारात्मक नहीं होते हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि निष्कासन एक दंडात्मक कार्रवाई है, शिक्षाप्रद नहीं।

शोध से पता चलता है कि छात्रों को निलंबित करने और निष्कासित करने से भी आक्रोश और गुस्सा पैदा हो सकता है। यदि छात्रों को ऐसा लगता है कि उन्हें समाज से खारिज कर दिया गया है, तो जोखिम है कि वे अपने विचारों या व्यवहारों में और अधिक उग्र हो जाएंगे।

शोध से यह भी पता चलता है कि यह एक युवा होते व्यक्ति की शिक्षा को प्रभावित कर सकता है और उसे जल्दी स्कूल छोड़ना पड़ सकता है। हम यह भी जानते हैं कि निलंबन और निष्कासन और पुलिस के साथ संपर्क सहित बढ़ते अपराध के बीच एक संबंध है।

सबसे सुरक्षात्मक बात यह है कि किशोरों को स्कूलों में रखा जाए जहां उन्हें सकारात्मक साथियों के प्रभाव से अवगत कराया जा सके, वयस्कों की देखरेख में, उन्हें अपनी शिक्षा जारी रखने का मौका दिया जा सके।

इसके बजाय क्या हो सकता है?

इसका मतलब यह नहीं है कि छात्रों को बस कक्षा में वापस जाने के लिए कहा जाना चाहिए जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं है।

मनोवैज्ञानिकों जैसे विशेषज्ञों की मदद से, स्कूल पुनर्स्थापनात्मक न्याय प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। यह छात्रों को उनके कार्यों के वास्तविक प्रभाव को समझने में मदद करने के बारे में है।

अक्सर यह धारणा हो सकती है कि छात्र जो कर रहे हैं, उसके परिणामों से वह पूरी तरह से वाकिफ होते हैं। लेकिन उनके मस्तिष्क के नियंत्रण और आत्म-नियमन वाले हिस्से अभी भी विकसित हो रहे हैं।

विशेषज्ञ छात्रों के साथ काम कर सकते हैं ताकि वे सीख सकें कि उनके कार्य उनके साथियों के साथ हानिरहित मज़ाक नहीं थे बल्कि कुछ ऐसे थे जो दूसरों को चोट पहुँचाते हैं।

यह कैसे किया जा सकता है इसका एक उदाहरण उन छात्रों को ‘जांच परियोजनाएँ’ देना है जहाँ वे समान घटनाओं की जाँच करें हैं और अपने निष्कर्षों को अपने साथियों के साथ साझा करें। जोर एक शिक्षाप्रद प्रतिक्रिया पर है जो उस युवा होते छात्र में सहानुभूति और समझ पैदा करती है।

स्कूल स्प्रेडशीट में शामिल छात्राओं को अपनी पसंद के माध्यम से यह व्यक्त करने के लिए भी कह सकता है कि इससे उन्हें कैसा महसूस हुआ।

इस प्रक्रिया की एक आलोचना यह है कि इसमें पीड़ितों को एक बार फिर उसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जो एक बार उन्हें नुकसान पहुंचा चुकी है। लेकिन बात जब जब पुनर्स्थापनात्मक न्याय प्रक्रिया की हो तो पीड़ितों को इसमें शामिल करने से बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।

वे पीड़ित चाहें तो माफी के लिए भी कह सकते हैं। यदि अपराधी को अपने व्यवहार के प्रभाव के बारे में कुछ पता चल जाए तो वह माफी अधिक सार्थक होने की संभावना है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि पुनर्स्थापनात्मक न्याय प्रक्रिया का उद्देश्य ‘न्याय’ देना नहीं है। यह शांति बहाल करने, हुए नुकसान को ठीक करने और बेहतर समझ के माध्यम से भविष्य में होने वाले नुकसान को रोकने के लिए है।

यह देखते हुए कि यारा वैली ग्रामर स्कूल की घटना छात्रों द्वारा छात्राओं के खिलाफ अंजाम दी गई द्वेषपूर्ण व्यवहार से जुड़ी घटनाओं की श्रृंखला में नवीनतम प्रकरण है, अब समय आ गया है कि हम कुछ अलग करने की कोशिश करें।

द कन्वरसेशन एकता

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