करतारपुर गलियारा धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दिखाता है: बाजवा |

करतारपुर गलियारा धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दिखाता है: बाजवा

करतारपुर गलियारा धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दिखाता है: बाजवा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : June 29, 2022/3:09 pm IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 29 जून (भाषा) पाकिस्तानी फौज के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने ब्रिटिश सिख सैनिकों के एक प्रतिनिधिमंडल से कहा कि ऐतिहासिक करतारपुर गलियारा धार्मिक स्वतंत्रता एवं सद्भावना के प्रति पाकिस्तान की ‘अटूट प्रतिबद्धता’ की व्यवहारिक अभिव्यक्ति है।

ब्रिटेन की ‘फील्ड आर्मी’ की उप कमांडर मेजर जनरल सेलिया जे हार्वे के नेतृत्व में 12 सदस्यीय समूह ने मंगलवार को रावलपिंडी में सेना के मुख्यालय में जनरल बाजवा से मुलाकात की।

मुलाकात के दौरान बाजवा ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि पाकिस्तान सभी धर्मों का सम्मान करता है और इस बात को मानता है कि मुल्क में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत है।

करतारपुर गलियारा पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत में पंजाब राज्य के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है। दरबार साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपना अंतिम समय बिताया था।

चार किलोमीटर लंबे गलियारे के माध्यम से भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीज़ा के दरबार साहिब जा सकते हैं।

ब्रिटिश सिख सैनिक लाहौर भी गए थे जहां वे बाघा सरहद पर झंडा उतारने के समारोह के गवाह बने। वे लाहौर के किले, अल्लामा इकबाल के मकबरे और बादशाही मस्जिद भी गए थे।

प्रतिनिधिमंडल ने मुल्क में कई धार्मिक स्थलों का भी दौरा किया और ओरकजई जिले भी गए और समाना किला, लॉकहार्ट किला और सारागढ़ी स्मारक की भी यात्रा की।

यह स्मारक उस स्थान को चिन्हित करता है, जहां 21 सिख सैनिकों ने 1897 में स्थानीय कबायली बागियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। सिखों के लिए इसका बहुत ऐतिहासिक महत्व है।

भाषा नोमान वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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