लंपी रोग से बचाव के लिए बड़े स्तर पर जानवरों के टीकाकरण की जरूरत : अमेरिकी पशु चिकित्सक |

लंपी रोग से बचाव के लिए बड़े स्तर पर जानवरों के टीकाकरण की जरूरत : अमेरिकी पशु चिकित्सक

लंपी रोग से बचाव के लिए बड़े स्तर पर जानवरों के टीकाकरण की जरूरत : अमेरिकी पशु चिकित्सक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : August 7, 2022/5:31 pm IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, सात अगस्त (भाषा) एक प्रमुख भारतीय-अमेरिकी पशु चिकित्सक ने लंपी त्वचा रोग (एलएसडी) को फैलने से रोकने के लिए मवेशियों के सामूहिक टीकाकरण और एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आवाजाही पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है। इस संक्रमण की वजह से भारत में हजारों गायों और भैंसों की मौत हुई है।

पिछले कुछ हफ्तों में राजस्थान और गुजरात में 3,000 से अधिक और पंजाब में 400 से ज्यादा मवेशियों की मौत वायरल संक्रमण के कारण हुई है। यह संक्रमण मवेशियों में लंबे समय तक रुग्णता का कारण बनता है।

राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएएनए) के सदस्यों ने मवेशियों को बीमारी से बचाने के प्रयासों में अपने गृह राज्य के किसानों का सहयोग करने के लिए तैयारी शुरू की है। ‘अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ वेटेरिनेरियन ऑफ इंडियन-ऑरिजिन’ के अध्यक्ष रवि मुरारका ने शनिवार को कहा कि मवेशियों का सामूहिक टीकाकरण और एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आवाजाही पर तत्काल रोक लगाना दो प्रमुख कदम हैं, जो घातक बीमारी के किसी प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक हैं।

राजस्थान के मुरारका, आरएएनए के पशु कल्याण समुदाय के अध्यक्ष भी हैं। मुरारका ने मॉनसून के मौसम के दौरान बीमारी के प्रकोप के संबंध में कहा कि विशेषज्ञों के साथ बातचीत शुरू कर दी गई है कि इस बीमारी से कैसे निपटा जाए और त्वरित सूचना पर भारत को संबंधित टीके भेजे जाएं। मुरारका ने कहा, ‘‘अभी राजस्थान में स्थिति बहुत गंभीर है।’’ साथ ही, उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर गायों की मौत का किसानों और अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।

ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्युनाइजेशन (गावी) की एक रिपोर्ट के अनुसार लंपी त्वचा रोग कैप्रीपोक्सवायरस के कारण होता है और ‘‘दुनिया भर में पशुधन के लिए एक उभरता हुआ खतरा है।’’ संक्रमित जानवर का वजन घटने लगता है और दूध की मात्रा कम होने के साथ-साथ बुखार और मुंह में घाव हो सकते हैं। गर्भवती गायों और भैंसों को अक्सर गर्भपात का शिकार होना पड़ता है और कुछ मामलों में इसके कारण रोगग्रस्त पशुओं की मौत भी हो जाती है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

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