कोविड मौतों पर अब मीडिया ध्यान नहीं देता |

कोविड मौतों पर अब मीडिया ध्यान नहीं देता

कोविड मौतों पर अब मीडिया ध्यान नहीं देता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : June 23, 2022/2:44 pm IST

(सारा वेलैंड, सीनियर लेक्चरर सोशल वर्क, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू इंग्लैंड)

आर्मिडेल (ऑस्ट्रेलिया), 23 जून (द कन्वरसेशन) लगभग एक साल पहले, हम में से कई लोग लॉकडाउन में थे। सरकारी प्रतिनिधियों ने हर दिन मीडिया के सामने यह खुलासा किया कि कितने लोगों ने कोविड ​​​​के लिए सकारात्मक परीक्षण किया और बीमारी से कितने लोगों की मौत हुई।

समाचार बुलेटिनों में मौतों की संख्या प्रमुख थी। अगले दिन के आंकड़े आने तक हम इस पर उदासी और शोक व्यक्त करते थे।

एक साल बाद, ऑस्ट्रेलिया में एक दिन में औसतन लगभग 50 कोविड मौतें होती हैं। महामारी शुरू होने के बाद से यहां 9,300 से अधिक कोविड मौतें हुई हैं। फिर भी, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में इन मौतों का बमुश्किल उल्लेख किया है।

ऐसा लगता है कि हम लोगों की मौत पर शोक व्यक्त करने का सामूहिक अवसर खो चुके है। और जब हम इन दर्दनाक मौतों के बारे में बात नहीं करते हैं, तो पीछे छूटे लोगों पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।

क्या सदमे का नुकसान अलग है?

सभी दुखों का सामना करना कठिन है। लेकिन जब दुःख को उस प्रकार के आघात के साथ जोड़ा जाता है जिसे हम हिंसक या अचानक मृत्यु के साथ देखते हैं, तो हम लंबे समय में कुछ अलग अनुभव कर सकते हैं।

यदि मीडिया नुकसान पर चर्चा नहीं करता है, तो यह दु: ख के इस आघात को जटिल कर सकता है और एक ऐसा रोग दे सकता है, जिसे लंबे समय तक चलने वाला दु: ख विकार कहा जाता है।

इस प्रकार का दुःख नुकसान के बाद पहले वर्ष से कहीं आगे तक हो सकता है। अपने प्रियजन को खोने वाले लोगों के लिए अचानक आया यह सदमा लंबे समय बाद तक आगे बढ़ने की उनकी क्षमता को प्रभावित करता है।

यह कोविड पर कैसे लागू होता है?

जिन लोगों ने किसी प्रियजन को कोविड में खो दिया है, वे अकेला और अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। वे लंबे समय तक दु: ख विकार भी विकसित कर सकते हैं।

अस्पताल के प्रतिबंधों के तहत प्रियजन की बीमारी और मौत के समय उसके आसपास न होना या मृत्यु के बाद किए जाने वाले अनुष्ठानों को न कर पाना दर्दनाक हो सकता है।

कोविड से किसी प्रियजन को खोने के बाद लंबे समय तक दु: ख विकार विकसित करने वाले लोग लंबे समय तक दु: ख की प्रतिक्रियाएं होती हैं।

लेकिन अगर हम ऑस्ट्रेलियाई मीडिया को देखें, तो ऐसा प्रतीत होता है कि समुदाय अब खोए हुए लोगों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा है।

कोविड मौतों के मीडिया कवरेज में कमी का मतलब है कि हमने साझा सहानुभूति के क्षण भी खो दिए हैं।

द कन्वरसेशन एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)