सत्ता परिवर्तन की कोशिशों में अमेरिका के शामिल होने के कोई सबूत नहीं : पाक सेना |

सत्ता परिवर्तन की कोशिशों में अमेरिका के शामिल होने के कोई सबूत नहीं : पाक सेना

सत्ता परिवर्तन की कोशिशों में अमेरिका के शामिल होने के कोई सबूत नहीं : पाक सेना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : April 5, 2022/1:09 pm IST

इस्लामाबाद, पांच अप्रैल (भाषा) पाकिस्तान की सेना ने प्रधानमंत्री इमरान खान के उस बयान का खंडन किया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका पर अपनी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। मीडिया में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, सेना की ओर से कहा गया है कि देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है।

इमरान ने उनकी सरकार को गिराने के लिए लिखे गए “धमकी भरे एक पत्र” पर चर्चा के वास्ते 27 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की एक बैठक की अध्यक्षता की थी। बैठक के बाद जारी किए गए एक बयान में कहा गया था कि उक्त पत्र में प्रयोग की गई भाषा अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक संवाद के अनुरूप नहीं थी और यह पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप था।

इसके बाद एनएससी ने आपत्ति जताते हुए अमेरिका को एक पत्र जारी किया था। इमरान ने कहा कि सेना के उच्च अधिकारियों ने पत्र का समर्थन किया था और उसमें जो धमकी दी गई थी, वह असली थी। बाद में नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिससे संवैधानिक संकट पैदा हो गया।

आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से कहा कि सैन्य नेतृत्व के बारे में गलत छवि बनाई जा रही है। एक सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री बैठक के विवरण को सार्वजनिक कर सकते हैं, क्योंकि एनएससी का बयान केवल मीडिया के लिए था।

सूत्रों ने कहा, “क्या एनएससी की बैठक का कोई विवरण मौजूद है? क्या बैठक में शामिल सभी लोगों ने विवरण पर हस्ताक्षर किए थे।” उन्होंने कहा कि बैठक के विवरण को आधिकारिक दस्तावेज तभी माना जाता है, जब उसमें शामिल एनएससी के सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हों। इससे पता चलता है कि सैन्य नेतृत्व ने बैठक के विवरण पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने सरकार को कोई पत्र नहीं लिखा था और यह अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान की अमेरिकी अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद की गई समीक्षा थी। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव और राजनयिक पत्र के बीच संबंध का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है।

भाषा यश पारुल

पारुल

 

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