क्वांटम प्रौद्योगिकी को उन्नत करने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

क्वांटम प्रौद्योगिकी को उन्नत करने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

क्वांटम प्रौद्योगिकी को उन्नत करने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
Modified Date: October 7, 2025 / 07:09 pm IST
Published Date: October 7, 2025 7:09 pm IST

स्टॉकहोम, सात अक्टूबर (एपी) जॉन क्लार्क, माइकल एच डेवोरेट और जॉन एम मार्टिनिस को डिजिटल प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने वाली ‘क्वांटम टनलिंग’ पर शोध के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिये जाने की मंगलवार को घोषणा की गई।

क्लार्क (83) ने अपना शोध कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में किया। वहीं, मार्टिनिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा में तथा डेवोरेट ने येल में और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा में भी अपना शोध किया।

क्लार्क ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा के बाद फोन पर पत्रकारों से कहा, ‘‘सीधे शब्दों में कहें तो यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य है।’’

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उन्होंने अन्य दो पुरस्कार विजेताओं के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि ‘‘उनका योगदान शानदार है।’’

क्लार्क ने कहा, ‘‘हमारी खोज कुछ मायनों में क्वांटम कंप्यूटिंग का आधार है। इस समय, यह कहां फिट बैठता है, यह मेरे लिए पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।’’

हालांकि, अपने मोबाइल फोन से बात करते हुए, क्लार्क ने कहा, ‘‘मोबाइल फोन के काम करने का एक मूल कारण यह सारा काम है।’’

तीनों को 10 दिसंबर को आयोजित समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

नोबेल समिति ने कहा कि 1980 के दशक में पुरस्कार विजेताओं का काम ‘‘क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम सेंसर सहित क्वांटम प्रौद्योगिकी की अगली पीढ़ी’’ के विकास के अवसर प्रदान करता रहा है।

भौतिकी के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष ओले एरिक्सन ने कहा, ‘‘सदियों पुरानी क्वांटम यांत्रिकी ने जिस तरह से लगातार नये आश्चर्य प्रस्तुत किए हैं, उसका जश्न मनाना शानदार है। यह बेहद उपयोगी भी है, क्योंकि क्वांटम यांत्रिकी सभी डिजिटल प्रौद्योगिकी का आधार है।’’

क्वांटम यांत्रिकी का यह 100 साल पुराना क्षेत्र, असंभव प्रतीत होने वाले उप-परमाणु जगत से संबंधित है, जहां स्विच एक ही समय पर चालू और बंद हो सकते हैं और परमाणुओं के कुछ हिस्से अभेद्य प्रतीत होने वाली बाधाओं को भेदकर सुरंग बना सकते हैं। पुरस्कार विजेता तिकड़ी के काम ने इसे विश्व फलक पर व्यापक रूप से ले जाने में मदद की है, जहां इसमें कंप्यूटिंग और संचार को गति देने की क्षमता है।

‘फिजिक्स टुडे’ के प्रधान संपादक रिचर्ड फिट्जगेराल्ड, जिन्होंने 1990 के दशक में एक प्रतिस्पर्धी समूह के साथ इस क्षेत्र में काम किया था, ने कहा कि तीनों भौतिकविदों ने ‘‘किसी ऐसी चीज पर काम किया जिसे हम देख नहीं सकते, छू नहीं सकते, महसूस नहीं कर सकते, और उसे पहचानने योग्य कर उसे कुछ ऐसा बना दिया जिस पर हम आगे बढ़ सकें।’’

खगोल भौतिकी के प्रोफेसर और नोबेल भौतिकी समिति के सदस्य मार्क पीयर्स ने बताया, ‘‘क्वांटम कंप्यूटर का उपयोग बहुत ही स्पष्ट है, लेकिन इनका उपयोग क्वांटम सेंसर के लिए भी किया जा सकता है, जिससे चुंबकीय क्षेत्रों के बारे में बहुत संवेदनशील मापन किया जा सके, और शायद क्रिप्टोग्राफी के लिए भी, ताकि सूचना को इस प्रकार कूटबद्ध किया जाए जा सके कि उसे कोई तीसरा पक्ष आसानी से न सुन सके।’’

यह 119वीं बार है जब यह पुरस्कार दिया जा रहा है। अब तक 226 वैज्ञानिकों को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

पिछले साल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के अग्रदूत जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन ने मशीन लर्निंग की आधारशिलाएं बनाने में मदद के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीता था।

स्टॉकहोम स्थित रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा इस वर्ष घोषित किया जाने वाला यह दूसरा पुरस्कार है। एक दिन पहले ही तीन वैज्ञानिकों को चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई।

मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रैमस्डेल और डॉ. शिमोन साकागुची को सोमवार को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई।

नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की कड़ी में बुधवार को रसायन विज्ञान और बृहस्पतिवार को साहित्य के क्षेत्र के विजेताओं के नाम घोषित किए जाएंगे। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार की घोषणा 13 अक्टूबर को की जाएगी।

पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा, जो इसके संस्थापक स्वीडिश उद्योगपति और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि है। नोबेल की 1896 में इसी दिन मृत्यु हुई थी।

इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 12 लाख अमेरिकी डॉलर) नकद प्रदान किया जाता है।

एपी सुभाष नरेश

नरेश


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