नाज़ियों के यातना शिविरों में रहे वृद्ध व्यक्ति की यूक्रेन में हमले में मौत

नाज़ियों के यातना शिविरों में रहे वृद्ध व्यक्ति की यूक्रेन में हमले में मौत

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  • Publish Date - March 22, 2022 / 09:46 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

बर्लिन, 22 मार्च (एपी) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाज़ियों के कई यातना शिविरों में रहे बोरिस रोमनचेन्को की यूक्रेन के शहर खारकीव में एक हमले के दौरान मौत हो गई। जर्मनी की संसद ने 96 वर्षीय रोमनचेन्को को मंगलवार को श्रद्धांजलि दी।

बुचेनवाल्ड नजरबंदी शिविर स्मारक ने सोमवार को बताया कि उनकी शुक्रवार को मौत हो गई थी। वह नाज़ियों के कई यातना शिविरों में रहे थे।

उसने उनकी पोती के हवाले से बताया कि वह खारकीव में एक बहुमंजिला इमारत में रहते थे, जिसपर एक तोप का एक गोला(प्रोजेक्टाइल) आकर गिरा, जिसमें उनकी मौत हो गई।

स्मारक ने कहा कि रोमनचेन्को नाज़ी अपराधों के पीड़ित और गवाह थे और वह ‘इंटरनेशनल बुचेनवाल्ड डोरा कमेटी’ के उपाध्यक्ष थे।

जर्मनी के संसद के सत्र की शुरुआत करते हुए उपाध्यक्ष कैटरीन गोरिंग एकार्डट ने मंगलवार को रोमनचेन्को को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने बताया कि 1942 में रोमनचेन्को को बंधुआ मजदूर के तौर पर जर्मनी के डॉर्टमूंड ले जाया गया था और जब उन्होंने 1943 में इससे निकलने की कोशिश की तो उन्हें यातना शिविर भेज दिया गया था। नाज़ी जर्मनी ने 1941 में सोवियत संघ पर हमला कर दिया था।

उन्होंने कहा,“ उनकी मौत हम सबको यह याद दिलाती है कि यूक्रेन के प्रति जर्मनी की एक खास ऐतिहासिक जिम्मेदारी है।”

सांसदों ने रोमनचेन्को और यूक्रेन के युद्ध में जान गंवाने वाले अन्य लोगों की याद में कुछ क्षण का मौन रखा।

एपी

नोमान दिलीप

दिलीप