हर तीन में से एक व्यक्ति टॉक्सोप्लाज्मा से संक्रमित, दृष्टिहीन बना सकता है परजीवी

हर तीन में से एक व्यक्ति टॉक्सोप्लाज्मा से संक्रमित, दृष्टिहीन बना सकता है परजीवी

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  • Publish Date - May 12, 2022 / 04:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:58 PM IST

(जस्टिन आर स्मिथ, फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय और जे. एम. फुर्टाडो, साओ पाउलो विश्वविद्यालय)

साओ पाउलो, 12 मई (द कन्वरसेशन) टॉक्सोप्लाज्मा गोंडाई आज संभवतः दुनिया में सबसे ज्यादा फैलने वाला परजीवी है। एक अनुमान के मुताबिक हर तीन में से एक व्यक्ति टॉक्सोप्लाज्मा से संक्रमित है। इस घातक परजीवी से संक्रमित होने पर स्थायी रूप से दृष्टिहीन होने का खतरा बढ़ जाता है।

यह सूक्ष्मजीव किसी भी स्तनपायी जंतु या पक्षी को संक्रमित कर सकता है और सभी महाद्वीपों में इससे संक्रमित लोग पाए जाते हैं। एक बार संक्रमित होने के बाद व्यक्ति के शरीर में जीवनभर टॉक्सोप्लाज्मा रहता है।

अभी तक ऐसी किसी दवा का विकास नहीं हुआ है जो इस परजीवी को शरीर से समाप्त कर सके। मनुष्यों के लिए इसके किसी टीके की भी मंजूरी नहीं दी गई है।

अनुमान है कि दुनियाभर में 30 से 50 प्रतिशत लोग टॉक्सोप्लाज्मा से संक्रमित हैं और ऑस्ट्रेलिया में इस संक्रमण के बढ़ने के भी संकेत मिले हैं। ऑस्ट्रेलिया के रक्त केंद्रों और प्रसव केंद्रों में वर्ष 1970 के दशक में कराए गए एक अध्ययन में संक्रमण दर 30 प्रतिशत पाई गई थी।

हाल में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में एक सामुदायिक अध्ययन में 66 प्रतिशत लोग संक्रमित पाए गए। इस परजीवी से होने वाली बीमारी से आंख के पीछे घाव हो सकता है।

हमारे अनुसंधान में स्वस्थ लोगों में बीमारी के लक्षण की खोज की गई और बहुत से लोगों में टॉक्सोप्लाज्मा पाया गया।

इस परजीवी को फैलाने में मुख्य रूप से बिल्लियां जिम्मेदार हैं। बिल्लियां जब संक्रमित जानवर को खाती हैं, तो वे भी संक्रमण का शिकार हो जाती हैं। बिल्ली की विष्ठा जब घास चरते हुए मवेशी खा लेते हैं तो टॉक्सोप्लाज्मा परजीवी उनकी मांसपेशियों में चला जाता है।

मांस के लिए जब इन मवेशियों को काटा जाता है तो मांस के साथ परजीवी भी मनुष्यों में चले जाते हैं। टॉक्सोप्लाज्मा से संक्रमित होना आम बात है, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से सबसे चिंताजनक बात है इसके द्वारा पैदा होने वाली बीमारी ‘टॉक्सोप्लाज्मोसिस’ की दर।

टॉक्सोप्लाज्मा आंख के रेटिना को प्रभावित करता है, जिससे हमें देखने की शक्ति मिलती है। संक्रमण के कारण रेटिना सूज जाता है और स्थायी रूप से उस पर घाव हो सकता है जिसे ‘ऑक्युलर टॉक्सोप्लाज्मोसिस’ कहा जाता है।

इस बीमारी के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, लेकिन चिकित्सकीय अनुसंधान में सामने आया है कि स्वस्थ वयस्कों को यह रोग आमतौर पर प्रभावित करता है। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोगों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं में इसके गंभीर लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

इससे नजर धुंधली पड़ने और सूजन अधिक होने से लेकर स्थायी रूप से अंधापन हो सकता है। टॉक्सोप्लाज्मा संक्रमण का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे रोका जा सकता है। मांस को 66 डिग्री सेल्सियस पर पकाने या पकाने से पहले बेहद ठंडा (फ्रीज) करने से परजीवी को खत्म किया जा सकता है।

ताजे फलों को धोने के बाद खाने और स्वच्छ पानी पीने से इससे बचा जा सकता है। बिल्लियों के साथ रहने वालों को विशेष रूप से विष्ठा की सफाई करते समय दस्ताने पहनने चाहिए और अन्य एहतियात बरतनी चाहिए।

(द कन्वरसेशन) यश संतोष

संतोष