पुतिन की मेजबानी में आर्मीनिया, अजरबैजान के बीच शांति वार्ता बेनतीजा

पुतिन की मेजबानी में आर्मीनिया, अजरबैजान के बीच शांति वार्ता बेनतीजा

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  • Publish Date - November 1, 2022 / 11:03 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

मास्को, एक नवंबर (एपी) रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को आर्मीनिया और अजरबैजान के नेताओं की मेजबानी की, ताकि पूर्व सोवियत संघ के दोनों पड़ोसियों के बीच लंबे समय से जारी टकराव के समाधान के प्रयास किए किए जा सकें, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी।

शांति वार्ता ऐसे वक्त हुई है जब रूस की सेना ने नौवें महीने में प्रवेश कर चुके यूक्रेन युद्ध में उसके महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के अपने अभियान को तेज कर दिया है।

काला सागर तट स्थित सोची शहर में आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेवसाथ के साथ बैठक के बाद, पुतिन ने कहा कि उन्हें लगातार असहमति का कारण बन रहे बिंदुओं को तैयार बयान से हटाना होगा जिसे शांति समझौते का आधार बनाना था।

उन्होंने बैठकों को “बहुत उपयोगी” कहा, लेकिन शेष बिंदुओं के बारे में जवाब देने से इनकार कर दिया। यह कहते हुए कि मुद्दा सार्वजनिक रूप से चर्चा करने के लिए बहुत नाजुक है।

पशिनियन के साथ बैठक से पहले, पुतिन ने कहा था कि लक्ष्य शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना तथा आर्मीनिया के आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद करने के लिए परिवहन बुनियादी ढांचे की बाधाओं को दूर करना है।

बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और सीमाओं का उल्लंघन करने पर आधारित मुद्दों पर बातचीत के लिए बल प्रयोग से परहेज करने का संकल्प लिया।

बयान में कहा गया है कि आर्मीनिया और अजरबैजान संबंधों को सामान्य बनाने, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपने क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए काम करेंगे।

नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच दशकों से संघर्ष जारी है। यह क्षेत्र अजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन 1994 में अलगाववादी संघर्ष समाप्त होने के बाद से आर्मीनिया द्वारा समर्थित जातीय आर्मीनियाई बलों के नियंत्रण में है।

पुतिन ने सोमवार को कहा, ‘‘हम आर्मीनिया-अजरबैजान सीमा पर और काराबाख के आसपास जो हो रहा है, उसके प्रति अपने सहयोगियों के दृष्टिकोण को देख रहे हैं। यह संघर्ष एक दशक से जारी है, इसलिए हमें अब इसे समाप्त करने की आवश्यकता है।’’

एपी फाल्गुनी नरेश

नरेश