उम्मीद है कि क्वाड का पहला सम्मेलन क्षेत्रीय शांति के लिए हितकारी होगा, प्रतिकूल नहीं: चीन

उम्मीद है कि क्वाड का पहला सम्मेलन क्षेत्रीय शांति के लिए हितकारी होगा, प्रतिकूल नहीं: चीन

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  • Publish Date - March 10, 2021 / 02:25 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:46 PM IST

(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, 10 मार्च (भाषा) अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेता शुक्रवार को पहले क्वाड सम्मेलन में वार्ता करेंगे और इस बीच चीन ने बुधवार को उम्मीद जताई कि चारों देश ऐसी चीजें करेंगे जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए हितकारी हों, ना कि ‘प्रतिकूल’।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा डिजिटल तरीके से आयोजित होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे। यह इस चतुष्कोणीय गठबंधन के शीर्ष नेताओं का पहला सम्मेलन है।

इस समूह को चीन के सरकारी मीडिया में अक्सर चीन की तरक्की के खिलाफ दर्शाया जाता है।

क्वाड के नेताओं के पहले सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन को लगता है कि किसी भी क्षेत्रीय सहयोग ढांचे को शांतिपूर्ण विकास और लाभकारी सहयोग के सिद्धांत का पालन करना चाहिए जो मौजूदा समय की प्रवृत्ति है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि संबंधित देश इस बात को दिमाग में रखेंगे कि क्षेत्रीय देशों के समान हितों में खुलेपन, समावेशीकरण और लाभकारी सहयोग के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए और ऐसी चीजें की जाएं जो विरोधाभासी होने के बजाय क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हितकारी हों।’’

क्वाड के चार सदस्य देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का संकल्प जताया है।

क्वाड के विदेश मंत्रियों ने गत 18 फरवरी को एक डिजिटल बैठक की थी जिसमें उन्होंने एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाये रखने की प्रतिबद्धता जतायी थी।

चीन द्वारा सैन्य शक्ति का प्रदर्शन बढ़ाने के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच एक प्रमुख मुद्दा बन गई है।

चीन पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका क्वाड को एक सुरक्षा ढांचा बनाने का पक्षधर रहा है।

क्वाड सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने 6 अक्टूबर, 2020 को तोक्यो में मुलाकात की थी और एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी सामूहिक दृष्टि दोहरायी थी।

भाषा वैभव उमा

उमा