अनुसंधानकर्ताओं ने ओमीक्रोन के स्पाइक प्रोटीन के आणविक-स्तर का संरचनात्मक विश्लेषण किया

अनुसंधानकर्ताओं ने ओमीक्रोन के स्पाइक प्रोटीन के आणविक-स्तर का संरचनात्मक विश्लेषण किया

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  • Publish Date - January 22, 2022 / 07:15 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:48 PM IST

टोरंटो(कनाडा), 22 जनवरी (भाषा) ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय (यूबीसी) में भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक सहित अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने कोविड-19 के ओमीक्रोन स्वरूप के स्पाइक प्रोटीन के आणविक-स्तर का संरचनात्मक विश्लेषण किया है। साथ ही, यह दावा भी किया है कि ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली टीम बन गई है।

इस विश्लेषण से ओमीक्रोन के खिलाफ अधिक प्रभावी उपचार ईजाद करने में तेजी लाने में मदद मिल सकती है।

उल्लेखनीय है कि स्पाइक प्रोटीन वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने और उसे संक्रमित करने में मदद करता है।

यूबीसी में जैव रसायन और आणविक जीव विज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ. श्रीराम सुब्रमण्यम ने कहा कि विश्लेषण से पता चलता है कि ओमीक्रोन स्वरूप किस तरह से मानव कोशिकाओं को संक्रमित करता है।

वैंकूवर स्थित विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्ष, इस पर नये सिरे से प्रकाश डालते हैं कि ओमीक्रोन अत्यधिक संक्रामक क्यों है और विश्लेषण अधिक प्रभावी उपचार ईजाद करने में तेजी लाने में मदद करेगा।

सुब्रमण्यम ने अपनी टीम के अनुसंधान के निहितार्थ पर चर्चा करते हुए कहा, ‘‘ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ टीकाकरण हमारा सबसे अच्छा बचाव है।’’

विश्वविद्यालय ने कहा, ‘‘यूबीसी की टीम ओमीक्रोन स्वरूप के स्पाइक प्रोटीन का आणविक-स्तर का संरचनात्मक विश्लेषण करने वाले दुनिया में पहली है।’’

सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘ओमीक्रोन स्वरूप में 37 स्पाइक प्रोटीन उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) है, जो कि हमने देखा है कि किसी भी अन्य प्रकार की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक उत्परिवर्तन है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह दो कारणों से महत्वपूर्ण है। पहला, यह कि स्पाइक प्रोटीन कैसे वायरस मानव कोशिकाओं से जुड़ता है और संक्रमित करता है। दूसरा, यह कि एंटीबॉडी वायरस को बेअसर करने के लिए स्पाइक प्रोटीन से जुड़ते हैं।’’

सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन ने ‘क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी’ और अन्य परीक्षणों का उपयोग यह समझने के लिए किया कि उत्परिवर्तन आणविक स्तर पर ओमीक्रोन स्वरूप के व्यवहार को कैसे प्रभावित करते हैं।’’

ओमीक्रोन स्वरूप की पहली बार नवंबर में दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में पहचान की गई थी और इसके जरिए हाने वाले संक्रमण के कारण अभी कोविड की मौजूदा लहर जारी है।

भाषा

देवेंद्र सुभाष

सुभाष