एक खास विशेषता के कारण सॉरोपोड्स अपना विशाल वजन उठा पाए, पैरों की छाप से हुआ खुलासा |

एक खास विशेषता के कारण सॉरोपोड्स अपना विशाल वजन उठा पाए, पैरों की छाप से हुआ खुलासा

एक खास विशेषता के कारण सॉरोपोड्स अपना विशाल वजन उठा पाए, पैरों की छाप से हुआ खुलासा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : August 12, 2022/2:33 pm IST

(स्टीवन डब्ल्यू. सैलिसबरी, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, एंड्रियास जेनेल, म्यूजियम फॉर नेचरकुंदे, बर्लिन और ओल्गा पैनागियोटोपोलौ, मोनाश विश्वविद्यालय)

मेलबर्न, 12 अगस्त (द कन्वरसेशन) पहली बार इस बात का खुलासा हुआ है कि सॉरोपॉड डायनासोर की ऐड़ी में एक नरम पैड होता था, जो उसके विशालकाय शरीर को उठाने में मदद करता था। सॉरोपॉड के पैर के नये डिजिटल पुनर्निर्माण से यह जानकारी सामने आई।

सॉरोपोड्स, जिनका वजन 50 टन तक होता था और जो लगभग 10 करोड़ वर्षों तक दुनिया के पारिस्थितिक तंत्र पर हावी रहे, के बारे में लगता है कि उनके विकास के शुरूआती चरण में ही उनकी ऐड़ी में यह नरम पैड विकसित हुए, और यह संभवतः एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने सॉरोपोड्स को धरती पर चलने वाला अब तक का सबसे बड़ा जानवर बनाने में मदद की। हमारा काम इस हफ्ते साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ।

‘तूफानी छिपकली’

सॉरोपोड्स के बारे में सबसे उल्लेखनीय चीजों में से एक कुछ प्रजातियों का विशाल आकार है: सॉरोपोड डायनासोर जब चलते होंगे तो उनके विशाल आकार के कारण उनके पैरों की धमक से धरती हिल जाती होगी। इनके विशाल आकार और स्वरूप को देखते हुए सॉरोपोड्स की एक प्रजाति को नाम दिया गया- ब्रोंटोसॉरस, जिसका अर्थ है ‘तूफानी छिपकली’।

सॉरोपोड्स की लंबी गर्दन और पूंछ हुआ करती थी, और वह चार लंबे, खंबे जैसे पैरों पर चलते थे, लेकिन वे विशाल नहीं थे। लगभग 23 करोड़ वर्ष पहले, इन डायनासोरों के पूर्वज छोटे, दो पैरों वाले जानवर थे जो अपने सॉरीशियन चचेरे भाई, थेरोपोड की तरह दिखते थे; जिनका शायद एक शुतुरमुर्ग से ज्यादा वजन नहीं होता।

लेकिन लगभग 21करोड़ वर्ष पहले सॉरोपोड के पूर्वजों के आकार में वृद्धि होनी शुरू हुई, जिससे उनका अनुमानित भार एक टन के करीब पहुंच गया। अर्जेंटीनोसॉरस, पेटागोटिटान और ऑस्ट्रेलोटिटन जैसे सबसे बड़े सैरोपोड्स शायद आज के सबसे बड़े जीवित स्थलीय जानवर, अफ्रीकी हाथी के आकार के दस गुना से अधिक 50 टन से अधिक वयस्क आकार तक पहुंच गए।

इस बात में दो राय नहीं है कि उस आकार के जानवरों के पैर बहुत बड़े होते थे। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के किम्बरली क्षेत्र में पाए गए कुछ सॉरोपोड के पैरों के निशान 1.7 मीटर से अधिक लंबे हैं! लेकिन सैरोपॉड पैर वास्तव में कैसा दिखता था, और वह इतने भारी शरीर का वजन कैसे उठा पाए।

सॉरोपोड की राह पर

किम्बरली में सॉरोपोड्स पर नज़र रखने में कई साल बिताने के बाद, मैंने [स्टीव सैलिसबरी] लंबे समय तक इस बारे में सोचा कि उनके पैर कैसे दिखते होंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि उनके आगे के पैर हाथियों के पैरों के समान थे, जिनकी हड्डियाँ निकट-ऊर्ध्वाधर, अर्ध-गोलाकार स्तंभ में स्थित होती हैं, जिनमें अंगूठे को छोड़कर उंगली की हड्डियाँ बहुत कम होती हैं। अधिकांश सॉरोपोड्स के ‘‘हाथ’’ आमतौर पर गोल या ‘‘फली के आकार के’’ होते हैं।

उनके सामान्य रूप से चित्रित स्तंभ रूप के बावजूद, सॉरोपोड के पैर हाथियों के पैरों से बहुत अलग थे। सॉरोपोड्स के पैर की उंगलियां लंबी और लचीली थीं, हड्डियों के बीच गतिशीलता से ऐसा आभास होता है। जीवाश्म के अध्ययन से पता चलता है कि विभिन्न तरह की सतह पर चलने के दौरान वह अपने पैर की उंगलियों को फैला पाते थे, पैर के आकार को समायोजित कर लेते थे- आज हम हाथियों में यह विशेषता नहीं पाते हैं।

यह लंबे समय से माना जाता रहा है कि अन्य डायनासोरों की तरह, सॉरोपोड अपने पैरों की उंगलियों पर चलते थे, टखने के जोड़ जमीन से ऊपर रहते थे। लेकिन कई सॉरोपोड चिन्हों में एक बड़ी ‘‘एड़ी’’ की छाप शामिल है।

इसने कई जीवाश्म विज्ञानियों को यह अनुमान लगाने के लिए प्रेरित किया है कि सॉरोपोड्स की ऐड़ी में एक प्रकार का ‘‘पैड’’ होता था।

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में पीएचडी के हिस्से के रूप में, विभिन्न सॉरोपोड्स के पैर के कंकाल क्या दिखाते हैं, और उनके ट्रैक के बारे में जानकारी के साथ, एंड्रियास जेनेल ने यह पता लगाने की कोशिश की कि उनके पैरों ने कैसे काम किया होगा। हमने ओल्गा पैनागियोटोपोलू के साथ भी काम किया, जो आधुनिक जानवरों के पैर यांत्रिकी और विशेष रूप से हाथियों के विशेषज्ञ हैं।

एंड्रियास ने विभिन्न सॉरोपोड्स और सॉरोपॉड पूर्वजों के पैर के कंकाल के 3 डी डिजिटल मॉडल तैयार किए। फिर उन्होंने और ओल्गा ने परिमित तत्व विश्लेषण नामक तकनीक का उपयोग करके इन मॉडलों की ताकत का परीक्षण किया। उन्होंने तुलना की कि विभिन्न मुद्राओं ने पैड के साथ और बिना पैड के पैर के यांत्रिक व्यवहार को कैसे प्रभावित किया।

पैर की मुद्रा कैसी भी हो – पैर की उंगलियां जमीन पर टिकी हों, पैर की उंगलियां आंशिक रूप से जमीन पर टिकी हों, या केवल पैर की उंगलियों के ऊपरी सिरे जमीन पर टिके हों- कोई भी मॉडल यांत्रिक बलों के उस परिमाण को झेल नहीं पाया जो कि सॉरोपोड्स अपने जीवन में उठाते थे, जब तक कि उनकी ‘‘एड़ी’’ के नीचे एक नरम ऊतक पैड न हो।

हमारे निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि एक नरम ऊतक पैड ने पूरे पैर के कंकाल को कुशन किया होगा, जिससे यह भार वहन के दौरान यांत्रिक बलों को अवशोषित करने में सहायक हुआ। सीधे शब्दों में कहें, एड़ी के नीचे अगर वह पैड न होता तो सॉरोपोड्स के पैरों में हड्डियां उनके भारी वजन के नीचे उखड़ जातीं।

द कन्वरसेशन एकता

एकता

एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)