अंग्रेजी भाषा के उच्चारण के लहजों संबंधी पूर्वाग्रह के गंभीर प्रभाव |

अंग्रेजी भाषा के उच्चारण के लहजों संबंधी पूर्वाग्रह के गंभीर प्रभाव

अंग्रेजी भाषा के उच्चारण के लहजों संबंधी पूर्वाग्रह के गंभीर प्रभाव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:52 PM IST, Published Date : August 17, 2022/4:13 pm IST

(सेलेस्टे रोड्रिग्ज लौरो, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, पर्थ)

पर्थ, 17 अगस्त (360 इंफो) अंग्रेजी एक साझा भाषा के रूप में कई लोगों को जोड़ने का काम करती है, लेकिन इसके उच्चारण के लहजों को लेकर पूर्वाग्रह बरकरार है और इसके गंभीर प्रभाव होते हैं।

अंग्रेजी भाषा दुनिया में द्वितीय भाषा के रूप में आज सर्वाधिक इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। एक अरब लोग अपनी द्वितीय (तृतीय या चतुर्थ) भाषा के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन 40 करोड़ से भी कम लोग अपनी प्रथम भाषा के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके बावजूद, यदि ऐसे लहजे में कोई सूचना दी जाती है, जो मूल रूप से अंग्रेजी बोलने वालों के उच्चारण के तरीके से भिन्न है, तो उस पर लोग अक्सर भरोसा नहीं करते। इन पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए कुछ रणनीतियां हैं, लेकिन असल बाधा इन रणनीतियों को व्यापक पैमाने पर लागू करना है।

स्थानीय वक्ता या मूल रूप से अंग्रेजी बोलने वालों के ‘मानक’ कई परिस्थितियों में यह तय करते हैं कि किसी व्यक्ति को नौकरी या घर मिलेगा या नहीं। इसके विपरीत अलग लहजे में अंग्रेजी बोलने वाले व्यक्ति पर भरोसा करने में लोगों को कठिनाई होती है।

अंग्रेजी भाषा के उदय के बाद इसका दुनिया भर में विस्तार हुआ, इसलिए उन लोगों के लहजे को ऐतिहासिक रूप से मानक माना जाता है, जिनकी मूल भाषा अंग्रेजी है। अंग्रेजी भाषा के शिक्षण के क्षेत्र में, ‘देशी-वाक्पटुता’ नीतियां प्रचलित हैं। यह विशेष रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्रचलित है, जहां अंग्रेजी भाषा के शिक्षण पदों में उन लोगों को प्राथमिकता दी जाती है, जिनकी मूल भाषा अंग्रेजी है।

मूल रूप से अंग्रेजी बोलने वालों के कथित ‘मानकों’ से भिन्न लहजे से अंग्रेजी बोलने वालों को अलग तरीके से देखा जाता है और ‘‘विदेशी’’ कह कर नकार दिया जाता है। विश्वास की कमी की यह समस्या गहरी है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि लोग घर देते समय इस बात को ध्यान में रखते हैं कि व्यक्ति के अंग्रेजी भाषा बोलने का लहजा क्या है।

यदि लोगों को भाषा के उच्चारण के विभिन्न लहजों से अवगत कराया जाए, तो इस पूर्वाग्रह को कम किया जा सकता है। इसके अलावा कार्यस्थल में लोगों को इस आधार पर पूर्वाग्रह कम करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, लेकिन असल बदलाव तभी आएगा, जब विभिन्न भाषायी पृष्ठभूमियों के लोगों को नियुक्त करके कार्यस्थलों को वास्तव में बहुसांस्कृतिक बनाया जाए।

(360 इंफो) सिम्मी अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)