नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पार्टी में विभाजन

नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पार्टी में विभाजन

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  • Publish Date - May 7, 2024 / 05:20 PM IST,
    Updated On - May 7, 2024 / 05:20 PM IST

(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, सात मई (भाषा) प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचण्ड नीत गठबंधन सरकार की घटक जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-एन) में विभाजन हो गया है। जेएसपी-एन के ज्यादातर सांसदों एवं केंद्रीय समिति के दो दर्जन से ज्यादा सदस्यों ने चुनाव आयोग में नई पार्टी के लिए आवेदन किया है।

पार्टी की संघीय परिषद के अध्यक्ष अशोक राय के नेतृत्व में जेएसपी-एन के एक धड़े ने एक नई पार्टी के लिए आवेदन दिया है जबकि पार्टी के अध्यक्ष एवं उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव विदेश यात्रा पर हैं।

जेएसपी-एन के सांसद प्रदीप यादव ने कहा कि केंद्रीय समिति के 29 सदस्यों और सात सांसदों ने संयुक्त रूप से एक नई पार्टी बनाने के लिए आवेदन किया है।

प्रतिनिधिसभा में पार्टी के 12 सदस्यों में से सात ने नई पार्टी का समर्थन किया है जिसका नाम ‘जनता समाजवादी पार्टी’ रखा गया है (इसमें मूल पार्टी का ‘नेपाल’ नहीं है)। इन सदस्यों में राय, सुशीला श्रेष्ठ, प्रदीप यादव, नवल किशोर साह, रंजू कुमारी झा, बीरेंद्र महतो और हसीना खान शामिल हैं।

चुनाव आयोग ने सोमवार को अशोक राय के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) को आधिकारिक तौर पर एक नए राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दे दी।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि राय ने प्रधानमंत्री प्रचण्ड की सलाह पर नई पार्टी पंजीकृत कराई है। दरअसल यादव के सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ संबंध खराब हो गए हैं।

इस तरह की खबरें हैं कि यादव विपक्षी नेपाली कांग्रेस (एनसी) और माधव कुमार नेपाल की सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल सीपीएन-यूनाइटेड सोशलिस्ट के साथ गठजोड़ करने की कोशिश कर रहे थे। एनसी के प्रमुख शेर बहादुर देउबा ने प्रचण्ड की सरकार गिराने पर कथित रूप से यादव को प्रधानमंत्री बनने की पेशकश की थी।

बहरहाल, सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल केपी शर्मा ओली की अगुवाई वाली सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) संसद में किसी तरह साधारण बहुमत हासिल कर सकी।

राय के नेतृत्व वाले गुट के नेताओं ने दावा किया कि उन्हें पार्टी नेतृत्व के खिलाफ इसलिए विद्रोह करना पड़ा क्योंकि यादव निरंकुश तरीके से पार्टी चला रहे थे।

वन एवं पर्यावरण मंत्री नवल किशोर साह सुदी ने दावा किया कि पार्टी अध्यक्ष यादव द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन को तोड़ने की कोशिश के बाद नए दल की आवश्यकता महसूस की गई। उन्होंने भी पार्टी छोड़ दी है।

सुदी ने कहा, ‘हमने मौजूदा सरकार की स्थिरता के लिए यह फैसला लिया है। पार्टी अध्यक्ष (यादव) इस गठबंधन के खिलाफ हैं लेकिन हम इस सरकार का समर्थन करना जारी रखेंगे।’

हालांकि जेएसपी-एन के नेताओं ने कहा कि पार्टी विभाजित नहीं हुई है। उन्होंने दावा किया कि बस एक असंतुष्ट गुट अलग हो गया है।

सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के नेता सुनील कुमार मानंधर ने कहा कि जेएसपी-एन में विभाजन से फिलहाल सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

जेएसपी-एन के प्रवक्ता मनीष सुमन ने कहा “सिर्फ सांसद ही पार्टी नहीं होते हैं। पार्टी के ज्यादातर नेता हमारे साथ हैं।”

उन्होंने कहा कि 300 सदस्यीय केंद्रीय समिति में से 20 प्रतिशत से भी कम लोगों ने पार्टी छोड़ी है।

भाषा

नोमान पवनेश

पवनेश