स्टेम सेल थेरेपी : शिशुओं में मस्तिष्क क्षति की मरम्मत के लिए एक नई आशा |

स्टेम सेल थेरेपी : शिशुओं में मस्तिष्क क्षति की मरम्मत के लिए एक नई आशा

स्टेम सेल थेरेपी : शिशुओं में मस्तिष्क क्षति की मरम्मत के लिए एक नई आशा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : May 16, 2022/12:17 pm IST

निएनके वागेनार, लिसाने बाक और नीक वैन डेर एए, यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी

यूट्रेक्ट (नीदरलैंड), 16 मई (द कन्वरसेशन) पैदा होने के कुछ ही घंटे बाद टॉम (उसका असली नाम नहीं), बेचैन हो गया और स्तनपान नहीं करना चाहता था। उसकी माँ ने देखा कि उसका बायाँ हाथ और पैर लगातार एक ही तरह से काँप रहा था – उसे लगा कुछ ठीक नहीं है।

टॉम को तुरंत नवजात गहन चिकित्सा इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया। एमआरआई स्कैन से पता चला कि बच्चे को गंभीर पक्षाघात था। डॉक्टरों ने टॉम के माता-पिता को बताया कि ऐसा कोई इलाज नहीं है जो वे बच्चे को दे सकें। वह शायद विकलांग होगा।

ज्यादातर लोगों को लगता है कि पक्षाघात मुख्य रूप से बुजुर्गों को प्रभावित करता है, लेकिन यह नवजात शिशुओं में भी हो सकता है। नवजात शिशुओं में यह स्ट्रोक तब होते हैं जब मस्तिष्क की प्रमुख धमनियों में से एक अवरुद्ध हो जाती है, जिससे रक्त की आपूर्ति में कमी होती है – और इसलिए ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बाधित होती है। 5,000 नवजात शिशुओं में से लगभग एक को स्ट्रोक होता है। यह आमतौर पर उनके जन्म के बाद पहले कुछ दिनों में होता है।

अधिकांश शिशुओं को जीवन में बाद में समस्याएँ होती हैं और समस्याओं की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि उनके दिमाग का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। इन समस्याओं में हाथ और पैरों में मांसपेशियों में जकड़न (सेरेब्रल पाल्सी), व्यवहार संबंधी समस्याएं, सीखने में कठिनाई और मिर्गी शामिल हो सकते हैं।

स्ट्रोक होने पर नवजात शिशुओं के लिए कोई चिकित्सा मौजूद नहीं है। यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर यूट्रेक्ट में हमारी अपनी टीम सहित शोधकर्ता नए उपचारों पर काम कर रहे हैं, जिनमें से एक स्टेम सेल के जरिए किया जाने वाला उपचार है।

स्टेम कोशिकाओं में शरीर में कई अलग-अलग कोशिकाओं में बदलने की क्षमता होती है, और वे कई विकास कारकों (प्रोटीन जो विशिष्ट ऊतकों के विकास को उत्तेजित करते हैं) के छोटे कारखाने हैं। सिद्धांत यह है कि अगर हम बच्चे के मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्से में स्टेम सेल डालें, तो स्टेम सेल के विकास कारक मस्तिष्क को खुद को ठीक करने के लिए प्रेरित करेंगे।

जानवरों में प्रभावी

जानवरों में पहले के अध्ययनों से पता चला है कि स्ट्रोक के साथ नवजात चूहों के मस्तिष्क में स्टेम सेल को इंजेक्ट करने से उनके मस्तिष्क की क्षति और विकलांगता की मात्रा में नाटकीय रूप से कमी आई है। प्रयोगों से पता चला कि उपचार सुरक्षित था और चूहों में इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं था।

इन जानवरों पर किए गए अध्ययन ने हमें आशा दी कि उपचार नवजात शिशुओं में भी जीवन भर विकलांगता को रोकने के लिए काम करेगा ।

लेकिन आप बिना सुई या सर्जरी के बच्चे के मस्तिष्क में स्टेम सेल कैसे पहुंचाते हैं? हमने एक इंट्रानैसल मार्ग (नाक के माध्यम से) की कोशिश करने का फैसला किया, जिसका चूहों में परीक्षण किया गया था। जब हमने स्टेम कोशिकाओं को नाक के जरिए शरीर में डाला, तो कोशिकाओं ने तेजी से और विशेष रूप से प्रभावित मस्तिष्क क्षेत्रों में यात्रा की। मस्तिष्क का प्रभावित क्षेत्र ‘‘चेतावनी संकेत’’ भेजता है जो स्टेम कोशिकाओं को मस्तिष्क में सही जगह पर जाने का मार्गदर्शन देता है।

एक बार जब स्टेम कोशिकाएं क्षतिग्रस्त क्षेत्र में पहुंच जाती है, तो विकास कारकों को स्रावित करती हैं, जिससे दिमाग की मरम्मत प्रणाली सक्रिय हो जाती है। कुछ ही दिनों में, चूहों में स्टेम कोशिकाएँ टूट गईं और मस्तिष्क में अब उनके होने का पता नहीं लगाया जा सकता। इस पद्धति के साथ कई प्रयोगों के बाद, हमने निष्कर्ष निकाला कि नाक में स्टेम सेल डालना उन्हें मस्तिष्क तक पहुंचाने का सबसे सुरक्षित और कारगर तरीका है।

दस बच्चे

कई वर्षों के प्रयोगशाला अनुसंधान के बाद, हमने आखिरकार शिशुओं में उपचार का परीक्षण किया है। परिणाम द लैंसेट न्यूरोलॉजी में प्रकाशित किए गए हैं।

बेबी टॉम, जिसका पहले उल्लेख किया गया था, अध्ययन में भाग लेने वाला पहला बच्चा था और उसे जन्म के एक सप्ताह के भीतर स्टेम सेल दिया गया। माता-पिता को अपने नवजात बच्चे के जीवन के पहले सप्ताह में एक प्रायोगिक चिकित्सा में शामिल होने के लिए कहना एक बहुत ही नाजुक प्रक्रिया है।

उसके माता-पिता के साथ हमारी लंबी बातचीत के बाद, उन्होंने अपने बेटे को अध्ययन में भाग लेने देने का फैसला किया। उसे नाक के माध्यम से स्टेम सेल दिए गए, एक प्रक्रिया जिसमें केवल कुछ मिनट लगे। बाद में, टॉम के घर जाने से पहले कुछ दिनों तक उन पर कड़ी नज़र रखी गई।

हमने दस नवजात शिशुओं का इलाज किया जिन्हें स्ट्रोक से पीड़ित होने के बाद नीदरलैंड के अस्पतालों से यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर यूट्रेक्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। सभी दस नवजात शिशुओं में, स्टेम सेल की बूंदों को बिना किसी जटिलता के दिया गया। एक बच्चा था जिसे इलाज के बाद हल्का बुखार था, जो अपने आप जल्दी ठीक हो गया।

स्ट्रोक के तीन महीने बाद किए गए मस्तिष्क के एक अनुवर्ती एमआरआई स्कैन ने उम्मीद से कम प्रगति दिखाई, संभवतः स्टेम कोशिकाओं की वजह से। चार महीनों में, टॉम सहित उपचारित शिशुओं के प्रभावित अंगों का परीक्षण किया गया तो उनमें काफी सुधार नजर आया। जब बच्चे दो साल के हो जाएंगे, तो हम उनके विकास की फिर से जांच करेंगे।

अब हम एक यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण के साथ आगे बढ़ने के अवसरों की तलाश कर रहे हैं ताकि यह साबित हो सके कि स्टेम सेल थेरेपी प्रसवकालीन स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क की चोट को प्रभावी ढंग से ठीक कर सकती है।

स्टेम सेल के साथ एक नई और सुरक्षित चिकित्सा की खोज से मस्तिष्क की चोट वाले अन्य बच्चों के लिए भी अवसर खुलते हैं, जैसे कि बच्चे जो बहुत जल्दी पैदा होते हैं, या वे बच्चे जो जन्म के दौरान ऑक्सीजन की कमी से पीड़ित होते हैं (प्रसवकालीन श्वासावरोध)।

स्टेम सेल थेरेपी संभावित आजीवन लाभों के साथ सबसे कमजोर रोगी समूह के लिए स्वस्थ जीवन की एक नयी आशा प्रदान करती है।

द कन्वरसेशन एकता

एकता

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)