पाकिस्तानी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का, न्यायपालिका में हस्तक्षेप की कई शिकायतें मिलीं

पाकिस्तानी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का, न्यायपालिका में हस्तक्षेप की कई शिकायतें मिलीं

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  • Publish Date - June 14, 2024 / 05:31 PM IST,
    Updated On - June 14, 2024 / 05:31 PM IST

सज्जाद हुसैन

इस्लामाबाद, 14 जून (भाषा) पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने शुक्रवार को दावा किया कि उन्हें देश के कुछ संस्थानों की ओर से न्यायपालिका में हस्तक्षेप के बारे में लिखित व मौखिक शिकायतें मिली हैं। उन्होंने परोक्ष रूप से शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों की ओर इशारा करते हुए यह बात कही।

लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के मुख्य न्यायाधीश मलिक शहजाद अहमद ने रावलपिंडी में एक स्थानीय बार एसोसिएशन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप मौलवी तमीजुद्दीन मामले से शुरू हुआ और अब भी जारी है।

न्यायाधीश 1955 के एक चर्चित मामले का जिक्र कर रहे थे, जब शीर्ष अदालत ने तत्कालीन गवर्नर-जनरल द्वारा उस समय की संविधान सभा को भंग करने के मामले में सभा के अध्यक्ष मौलवी तमीजुद्दीन की याचिका खारिज करते हुए तत्कालीन गवर्नर-जनरल के पक्ष में फैसला सुनाया था।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘हमें पत्र, लिखित व मौखिक शिकायतें मिली हैं कि न्यायपालिका में हस्तक्षेप किया जा रहा है। कुछ संस्थाओं के खिलाफ ये पत्र व शिकायतें मिली हैं, जिनका नाम लेना उचित नहीं है।”

हालांकि उन्होंने भरोसा जताया कि न्यायपालिका में यह हस्तक्षेप जल्द ही खत्म हो जाएगा।

न्यायमूर्ति अहमद ने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि न्यायपालिका में सत्ता प्रतिष्ठान का यह हस्तक्षेप जल्द ही खत्म हो जाएगा।’

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें खुशी है कि न्यायपालिका ‘बिना किसी डर या लालच के अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रही है।’

उन्होंने सरगोधा में आतंकवाद-रोधी अदालत (एटीसी) के सत्र न्यायाधीश के हाल के दावे का उल्लेख किया, जिन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के हस्तक्षेप की बात कही थी।

भाषा जोहेब माधव

माधव