महामारी ने हमारे व्यक्तित्व को बदल दिया है, हम अपने में सिमट गए हैं |

महामारी ने हमारे व्यक्तित्व को बदल दिया है, हम अपने में सिमट गए हैं

महामारी ने हमारे व्यक्तित्व को बदल दिया है, हम अपने में सिमट गए हैं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : September 29, 2022/12:36 pm IST

(जोलांटा बर्क, आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज)

डबलिन, 29 सितंबर (द कन्वरसेशन) हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके व्यक्तित्व के कुछ लक्षण पूरे जीवन में एक समान रहते हैं जबकि कुछ लक्षण धीरे-धीरे बदलते हैं। हालांकि, सबूत बताते हैं कि हमारे व्यक्तिगत जीवन में घटने वाली कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं जो गंभीर तनाव या आघात का कारण बनती हैं, हमारे व्यक्तित्व में तेजी से बदलाव से जुड़ी हो सकती हैं।

पीएलओएस वन में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कोविड महामारी ने वास्तव में दुनियाभर में लोगों के व्यक्तित्व में बहुत अधिक बदलाव किए हैं। विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने पाया कि महामारी से पहले की तुलना में 2021 और 2022 में लोग कम बहिर्मुखी, कम खुले, कम सहमत और कम कर्तव्यनिष्ठ हो गए।

इस अध्ययन में अमेरिका के 18 से 109 वर्ष की आयु के 7,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया गया था, जिनका मूल्यांकन महामारी से पहले (2014 से), 2020 में महामारी की शुरुआत में, और फिर बाद में 2021 या 2022 में महामारी में किया गया था।

प्रत्येक समय बिंदु पर, प्रतिभागियों ने कुछ सवालों के जवाब दिए, जिसके आधार पर उनका मूल्यांकन किया गया। यह मूल्यांकन उपकरण व्यक्तित्व को पांच आयामों में मापता है: बहिर्मुखी बनाम अंतर्मुखी, सहमत बनाम विरोध, कर्तव्यनिष्ठा बनाम इसकी कमी, उद्विग्न बनाम भावनात्मक रूप से स्थिर, और खुलापन बनाम एकाकी।

पूर्व-महामारी और 2020 के व्यक्तित्व लक्षणों के बीच बहुत अधिक परिवर्तन नहीं थे। हालांकि, शोधकर्ताओं ने महामारी से पहले की तुलना में 2021/2022 में बहिर्मुखता, खुलेपन, सहमति और कर्तव्यनिष्ठा में महत्वपूर्ण गिरावट पाई। ये परिवर्तन सामान्य बदलाव के एक दशक के समान थे, यह सुझाव देते हुए कि कोविड महामारी के आघात ने व्यक्तित्व परिवर्तन की प्राकृतिक प्रक्रिया को तेज कर दिया था।

दिलचस्प बात यह है कि अध्ययन में युवा वयस्कों के व्यक्तित्व में सबसे ज्यादा बदलाव आया। उन्होंने पूर्व-महामारी की तुलना में 2021/2022 में सहमति और कर्तव्यनिष्ठा में उल्लेखनीय गिरावट और उद्विग्नता में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई। यह कुछ हद तक सामाजिक चिंता के कारण हो सकता है।

व्यक्तित्व और सेहत

हम में से कई लोग महामारी के दौरान स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो गए, उदाहरण के लिए बेहतर खाना और अधिक व्यायाम करना। हममें से बहुतों ने वस्तुतः जो भी सामाजिक संपर्क हमें मिल सकते थे, खोजे और मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और बौद्धिक विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की – उदाहरण के लिए, माइंडफुलनेस का अभ्यास करके या नए शौक अपनाकर।

बहरहाल, इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य और भलाई में काफी कमी आई। इन हालात में हम जिन कठोर बदलावों से गुजरे हैं ऐसा होना स्वाभाविक भी है।

यदि हम अधिक बारीकी से देखें, तो ऐसा प्रतीत होता है कि महामारी ने निम्नलिखित क्षेत्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है:

– दूसरों के प्रति सहानुभूति और दया व्यक्त करने की हमारी क्षमता

– नई अवधारणाओं के लिए खुले रहने की हमारी क्षमता और नई स्थितियों में संलग्न होने की इच्छा;

– अन्य लोगों के सान्निध्य की तलाश करने और उसका आनंद लेने की हमारी प्रवृत्ति;

– अपने लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास करने की हमारी इच्छा, कार्यों को अच्छी तरह से करना या दूसरों के प्रति जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना।

ये सभी लक्षण हमारे आस-पास के वातावरण के साथ हमारे संबंध को प्रभावित करते हैं, और इस तरह, हमारी सेहत में गिरावट में भूमिका निभा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, घर से काम करने से हम निराश हो सकते हैं और यह मान सकते हैं कि हमारा करियर वहीं रूक गया है। यह बदले में हमें अधिक चिड़चिड़ा, उदास या चिंतित महसूस कराकर हमारी सेहत को प्रभावित कर सकता है।

आगे क्या?

समय के साथ, हमारे व्यक्तित्व आमतौर पर इस तरह से बदलते हैं जो हमें उम्र बढ़ने के अनुकूल होने और जीवन की घटनाओं से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने में मदद करते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपने जीवन के अनुभवों से सीखते हैं और यह बाद में हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम आम तौर पर आत्मविश्वास, आत्म-नियंत्रण और भावनात्मक स्थिरता में वृद्धि देखते हैं।

हालांकि, इस अध्ययन में प्रतिभागियों ने व्यक्तित्व परिवर्तन के सामान्य प्रक्षेपवक्र के विपरीत दिशा में परिवर्तन दर्ज किए। यह समझ में आता है कि हमने अपनी स्वतंत्रता पर बाधाओं, खोई हुई आय और बीमारी सहित कठिनाइयों की एक विस्तारित अवधि का सामना किया। इन सभी अनुभवों ने स्पष्ट रूप से हमें और हमारे व्यक्तित्व को बदल दिया है।

यह अध्ययन हमें हमारे मानस पर महामारी के प्रभावों के बारे में कुछ बहुत ही उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। ये प्रभाव बाद में हमारे जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकते हैं।

द कन्वरसेशन एकता एकता

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)