न्यूयॉर्क, सात फरवरी (एपी) मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर पिछले साल हुए हमले के बाद उनकी दाहिनी आंख की रोशनी चली गई, उन्हें लिखने में परेशानी होती है और उन्हें डरावने सपने आते रहते हैं।
रुश्दी ने उस हमले के बाद पहली बार एक साक्षात्कार दिया और कहा कि वह अब बेहतर महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने समाचार पत्र न्यू यॉर्कर में सोमवार को प्रकाशित साक्षात्कार में कहा, ‘‘ अब मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं… लेकिन जो हुआ, उस पर विचार करते हुए मुझे लगता है कि मैं इतना बुरा नहीं हूं।’
लेखक ने डेविड रेमनिक से बातचीत की। रेमनिक ने उनसे उनके एजेंट के कार्यालय में आमने-सामने और ‘‘जूम’’ के माध्यम से बातचीत की।
उन्होंने कहा, ‘बड़ी चोटें ठीक हो गई हैं… मुझे अपने अंगूठे, हथेली आदि में दर्द महसूस होता रहता है। मैं बहुत सारी हैंड थेरेपी कर रहा हूं, और मैं ठीक हो रहा हूं।’
रेमनिक ने लिखा है कि बुकर पुरस्कार विजेता रुश्दी का वजन 18 किलोग्राम से अधिक कम हो गया है और वह ज्यादातर आईपैड से पढ़ते हैं ताकि वह प्रकाश और फ़ॉन्ट आकार को अपने हिसाब से समायोजित कर सकें।
रेमनिक के अनुसार लेखक के चेहरे के दाहिनी ओर निशान हैं लेकिन वह हमेशा की तरह धाराप्रवाह बोलते हैं। हालांकि इस क्रम में उनका निचला होंठ एक तरफ झुक जाता है।
मुंबई में जन्मे रुश्दी (75) के उपन्यास ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’ के प्रकाशन के बाद ईरान के अयातुल्ला खामनेई ने 1989 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। इस वजह से रुश्दी ने कई वर्ष छिपकर गुजारे। हालांकि पिछले कुछ समय से वह सामान्य जीवन जी रहे थे।
पिछले साल पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर हादी मतार नामक युवक ने उन पर हमला किया था।
अपने इस साक्षात्कार के दौरान, रुश्दी ने मतार को ‘‘मूर्ख’’ बताया, हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें कोई गुस्सा नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘मैंने इन वर्षों में आरोप-प्रत्यारोप और कटुता से बचने की बहुत कोशिश की… इस पूरे मामले से निपटने का एक तरीका यह है कि मैं आगे की ओर देखूं न कि पीछे की ओर। कल क्या हुआ- की तुलना में – कल क्या होगा, अधिक महत्वपूर्ण है।”
यह साक्षात्कार रुश्दी के नए उपन्यास ‘विक्ट्री सिटी’ के प्रकाशन के ठीक पहले प्रकाशित हुआ है। उन्होंने यह उपन्यास अपने हमले से एक महीने पहले पूरा किया था।
उन्होंने साक्षात्कार में कहा कि उन पर हमले के बाद उनकी किताबों की बिक्री बढ़ गई। उन्होंने कहा, ‘‘अब जबकि मैं लगभग मर चुका हूं, हर कोई मुझे प्यार कर रहा है… उस समय, वह मेरी गलती थी। मैं न केवल जीवित रहा बल्कि मैंने अच्छी तरह से जीने की कोशिश की। गंभीर गलती। हमले से 15 घाव मिले।’’
एपी अविनाश नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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