दुष्प्रचार के व्यापक होने के तीन कारण और हम इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं |

दुष्प्रचार के व्यापक होने के तीन कारण और हम इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं

दुष्प्रचार के व्यापक होने के तीन कारण और हम इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : August 14, 2022/6:07 pm IST

(मैथ्यू ओ’नील और माइकल जेन्सेन, कैनबरा विश्वविद्यालय)

कैनबरा, 14 अगस्त (द कन्वरसेशन) सरकारें, संगठन और व्यक्ति लाभ के लिए या रणनीतिक लाभ हासिल करने के लिए दुष्प्रचार फैला रहे हैं। लेकिन इतना दुष्प्रचार क्यों फैलाया जा रहा है? और हम इससे खुद को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं?

डोनाल्ड ट्रंप ने ‘‘फर्जी समाचार’’ के रूप में किसी भी महत्वपूर्ण समाचार कवरेज का उपहास किया और 2020 के राष्ट्रपति चुनाव परिणाम को स्वीकार नहीं करने के कारण अंततः छह जनवरी, 2021 को यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद भवन) में दंगा हुआ।

सरकारें, संगठन और व्यक्ति लाभ के लिए या रणनीतिक लाभ हासिल करने के लिए दुष्प्रचार फैला रहे हैं। लेकिन इतना दुष्प्रचार क्यों है? और हम अपनी रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं? दुष्प्रचार के इतने व्यापक होने के तीन कारण हैं।

तीन दूरगामी कारण:

इस मुद्दे को हल करने के लिए तीन विचार उभरे हैं। पहला कारण दुष्प्रचार इतना व्यापक है कि समाचार मीडिया सहित प्राधिकरण के पारंपरिक स्रोतों के प्रति अविश्वास बढ़ता रहा है। जब लोगों को लगता है कि मुख्यधारा का मीडिया उद्योगों और सरकारों को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा है, तो वे पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देने वाली जानकारी को स्वीकार करने की अधिक संभावना रखते हैं।

दूसरे, सोशल मीडिया मंच ऐसी बातों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनसे अक्सर चौंकाने वाले दावों को बढ़ावा मिलता है जो नाराजगी पैदा करते हैं, भले ही ये दावे सही हों या नहीं।

अध्ययनों से पता चलता है कि सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी सच्ची और सही सूचनाओं की तुलना में अधिक तेजी से फैलती है, क्योंकि यह अधिक नवीन और आश्चर्यजनक लगती है।

जानबूझकर किए जाने वाले दुष्प्रचार की रणनीति की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। फेसबुक का अनुमान है कि 2016 के अमेरिकी चुनाव के दौरान, अमेरिकी जनता के बीच विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से रूसी इंटरनेट अनुसंधान एजेंसी की दुर्भावनापूर्ण सामग्री अमेरिका और दुनियाभर में 12.6 करोड़ लोगों तक पहुंच गई थी।

दुष्प्रचार के कई रंग:

सूचना का यह संकट आमतौर पर या तो जानबूझकर (दुष्प्रचार) या अनजाने में (गलत सूचना) झूठी सूचना के प्रसार के संदर्भ में तैयार किया जाता है। हालांकि इस दृष्टिकोण में शीत युद्ध के दौरान कई तकनीकों सहित प्रचार के महत्वपूर्ण रूपों को याद किया जाता है।

अनजाने में फैली गलत सूचना के भी गलत परिणाम हो सकते हैं। ऐसा ही 2020 में हुआ था जब डोनाल्ड ट्रंप ने झूठे दावे किये थे कि ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ के कोविड-19 के खिलाफ ‘‘बहुत उत्साहजनक परिणाम’’ सामने आये है और उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया था।

सरकारों और निगमों ने भी दुष्प्रचार को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर गूगल ने 2022 में अपने रूस-यूक्रेन ‘कॉन्फ्लिक्ट मिसइनफो डैशबोर्ड’ की शुरुआत की थी, जो हमले से संबंधित संदिग्ध दावों को सूचीबद्ध करता है और उनकी सत्यता की जांच करता है।

शिक्षा महत्वपूर्ण है:

सूचना उपभोक्ताओं के रूप में, हम स्वयं को दुष्प्रचार से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं जिनमें विविध प्रकार के स्रोतों की तलाश करना और पढ़ना और संदिग्ध सामग्री को साझा न करना शामिल है। इस संदेश को फैलाने के लिए स्कूल अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

ऑस्ट्रेलिया में उल्लेखनीय पहलों में कैंटरबरी, विक्टोरिया में कैम्बरवेल ग्रामर स्कूल शामिल है, जहां शिक्षकों ने अपने छात्रों को विश्वसनीय समाचार स्रोतों की पहचान करने के तरीके सिखाने के लिए ‘एबीसी एजुकेशन’ के संसाधनों पर ध्यान आकर्षित किया है।

इस तरह की सूचना शिक्षा को लोकतांत्रिक मानदंडों और मूल्यों के बारे में जागरूकता के साथ पूरक बनाने की आवश्यकता है। इसमें गोपनीयता के महत्व की बेहतर समझ भी शामिल होनी चाहिए।

(द कन्वरसेशन) देवेंद्र नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)