पाकिस्तान-अफगानिस्तान वार्ता जारी रहने के बीच सेनाओं ने की गोलीबारी
पाकिस्तान-अफगानिस्तान वार्ता जारी रहने के बीच सेनाओं ने की गोलीबारी
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, सात नवंबर (भाषा) जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अधिकारी सीमा पार चरमंपथ का स्थायी समाधान खोजने के लिए तुर्किये में वार्ता कर रहे थे तो उसी समय दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी हुई।
दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए यह वार्ता इस्तांबुल में शुरू हुई। यह तनाव पिछले महीने सीमा पर संघर्ष के बाद पैदा हुआ था।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 11 से 15 अक्टूबर के बीच हुई झड़पों में दोनों पक्षों ने मानव क्षति की पुष्टि की थी। हालांकि, एक अस्थायी संघर्षविराम के बाद स्थिति को काबू में लाया गया था। इस संघर्षविराम को बढ़ा दिया गया था और यह अब तक लागू है।
लेकिन बृहस्पतिवार को एक बार फिर गोलीबारी के बाद यह संघर्षविराम खतरे में पड़ गया। हालांकि, स्थिति को बाद में नियंत्रित कर लिया गया। दोनों देशों ने इस गोलीबारी के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया।
पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हम आज चमन में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर हुई घटना के संबंध में अफगान पक्ष द्वारा किए गए दावों को सख्ती से खारिज करते हैं।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘गोलीबारी की शुरुआत अफगान पक्ष की ओर से की गई, जिसका हमारे सुरक्षा बलों ने तुरंत, संयमित और जिम्मेदार तरीके से जवाब दिया।
जिम्मेदार कार्रवाई के चलते स्थिति नियंत्रण में आ गई और संघर्षविराम अब भी लागू है।’’
मंत्रालय ने यह भी कहा, ‘‘पाकिस्तान वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है और अफगान अधिकारियों से भी उसी भावना की अपेक्षा करता है।’’
इस बीच, पाकिस्तान और अफगान तालिबान अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को वार्ता फिर से शुरू की, जिसका उद्देश्य सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से निपटना और दोनों पक्षों के बीच आगे किसी भी तनाव को रोकना है।
तीसरे दौर की यह वार्ता दो दिन तक होनी है। दोहा में 19 अक्टूबर और इस्तांबुल में 25 अक्टूबर को हुई पहले की दो दौर की वार्ता में कोई ठोस समझौता नहीं हुआ था।
अब तक किसी भी पक्ष ने वार्ता के विवरण साझा नहीं किए हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार, वार्ता ‘‘सकारात्मक माहौल’’ में हुई और आवश्यकता पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
इससे पहले, अक्टूबर में हुए संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया था कि अफगान तालिबान के 206 और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के 110 चरमपंथी मारे गए थे, जबकि 23 पाकिस्तानी सैनिकों की भी मौत हुई थी।
भाषा गोला मनीषा
मनीषा

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