संयुक्त राष्ट्र, 25 जनवरी (भाषा) संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को अनुमान जताया कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 2023 में 5.8 प्रतिशत रह सकता है क्योंकि ऊंची ब्याज दरों और वैश्विक आर्थिक मंदी से निवेश और निर्यात पर दबाव पड़ रहा है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने देश की आर्थिक वृद्धि ‘‘मजबूत’’ रहने की उम्मीद जताई है जबकि अन्य दक्षिण एशियाई देशों के लिए संभावनाएं ‘‘अधिक चुनौतीपूर्ण’’ हैं।
‘वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावनाएं-2023’ रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक उत्पादन वृद्धि 2022 में अनुमानित तीन प्रतिशत से घटकर 2023 में 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो हाल के दशकों में सबसे कम विकास दर में से एक है।
रिपोर्ट में इसके लिए कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसके चलते खाद्य एवं ऊर्जा संकट खड़ा हुआ और मंहगाई बढ़ी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत में विकास दर 5.8 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है, हालांकि यह 2022 में अनुमानित 6.4 प्रतिशत से थोड़ा कम है, क्योंकि उच्च ब्याज दरों और वैश्विक मंदी से निवेश और निर्यात पर दबाव पड़ा है।’’
भाषा
शफीक प्रशांत
प्रशांत
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