दावोस में अहम जलवायु थीम क्या रहने वाली है? |

दावोस में अहम जलवायु थीम क्या रहने वाली है?

दावोस में अहम जलवायु थीम क्या रहने वाली है?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : May 22, 2022/8:22 pm IST

दावोस (स्विट्ज़रलैंड), 22 मई (एपी) विश्व आर्थिक मंच की बैठक में कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दे छाए रहेंगे तथा इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर लंबी चर्चा होगी।

सोमवार से बृहस्पतिवार के बीच करीब 270 पैनल चर्चा होंगी जिनमें एक तिहाई जलुवायु परिवर्तन या इसके सीधे प्रभाव पर होंगी। अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी, युगांडा की कार्यकर्ता वैनेसा नाकाते और पिछले साल अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन ‘सीओपी26’ की अध्यक्षता करने वाले आलोक शर्मा उन जलवायु नेताओं में शामिल हैं जो दावोस में होंगे।

पिछले दो साल में यह पहली बार है जब मंच की प्रत्यक्ष बैठक हो रही है। इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी जिनमें पर्यावरण-चिंता से लेकर कर्ज में डूबे देशों की मदद तक शामिल है।

पर्यावरण, सामाजिक, शासन

जब बात जलवायु परिवर्तन की होती है तो ईएसजी अहम हो सकता है। व्यक्तिगत निवेशकों के लिए वे कंपनियां और सरकारी एजेंसियां जो विश्लेषण करती हैं कि कंपनियां कैसे काम करती हैं, प्रकटीकरण और सार्वजनिक घोषणाएं सर्वोपरि हैं।

वे कंपनी के उत्सर्जन, पर्यावरणीय प्रभाव और जलवायु परिवर्तन से जुड़े वित्तीय जोखिमों के मूल्यांकन का आधार हो सकते हैं।

दुनिया के कुछ सबसे बड़े म्युचुअल फंड के कई प्रबंधकों ने तर्क दिया है कि जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए ईएसजी जरूरी है।

ऊर्जा परिवर्तन एवं बिलकुल शून्य

दुनिया के शीर्ष जलवायु वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस दशक में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाना जरूरी है ताकि गर्मी को कम किया जा सके और ग्रह पर सबसे विनाशकारी प्रभावों से बचा जा सके। इसके लिए कारोबार करने के तरीके में बड़े बदलाव की जरूरत है। इसमें उत्पाद के उत्पादन से लेकर उसे ले जाने तक के तरीके में बदलाव करना होगा।

कई पैनल उन क्षेत्रों को देखेंगे जहां व्यवसाय ऊर्जा की अपनी अधिकांश जरूरतों को नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी करने लगे हैं। साथ में वे वित्त की भूमिका और सरकार के प्रोत्साहन एवं व्यवासयों को जवाबदेह रखने की रणनीतियों पर भी गौर करेंगे। इसके सबके बावजूद दुनियाभर में उत्सर्जन बढ़ रहा है।

यूक्रेन में जंग और ऊर्जा का भविष्य

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध का मुद्दा सम्मेलन में छाया रहेगा। जब बात जलवायु परिवर्तन की होती है, तो संघर्ष से दो अहम सवाल उठते हैं। पहला कि रूस से तेल और गैस के आयात कम करने या बिलकुल खत्म करने के कारण देशों को ऊर्जा की कमी का जवाब कैसे देना चाहिए? दूसरा, और क्या युद्ध अक्षय ऊर्जा के उपयोग को तेज करेगा या जीवाश्म ईंधन कंपनियों को यथास्थिति बनाए रखने में मदद करेगा?

एपी नोमान नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)