पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को लेकर जापान में मतभेद क्यों? |

पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को लेकर जापान में मतभेद क्यों?

पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को लेकर जापान में मतभेद क्यों?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : September 26, 2022/6:15 pm IST

तोक्यो, 26 सितंबर (एपी) जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार को लेकर देश में अलग-अलग विचार देखने को मिल रहे हैं। आबे की जुलाई में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

सत्ताधारी पार्टी के अति-रूढ़िवादी ‘यूनिफिकेशन चर्च’ के साथ मधुर संबंधों का असर है, जिसके चलते अंत्येष्टि का अधिक विरोध उभरकर सामने आ रहा है।

कुछ कारणों के चलते मंगलवार को होने वाले आबे के राजकीय अंत्येष्टि कार्यक्रम को लेकर रोष देखा जा रहा है।

जापान में राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम की जड़ें देश में असाधारण योगदान देने वालों को सम्मानित करने के लिए सम्राट द्वारा संपन्न की जाने वाली परंपरा है। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले सम्राट को ईश्वर का रूप माना जाता था और राजकीय अंतिम संस्कार का सम्मान पाने वाले लोगों के लिए सार्वजनिक शोक अनिवार्य था।

राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम अधिकतर शाही परिवार के सदस्यों के लिए किए गए थे। हालांकि, इसोरोकू यामामोटो समेत अन्य राजनेताओं और सैन्य अधिकारियों का भी राजकीय अंतिम संस्कार किया गया था। यामामोटो ने पर्ल हार्बर हमले की कमान संभाली थी और 1943 में उनकी मृत्यु हो गई थी।

युद्ध के बाद राजकीय अंतिम संस्कार कानून को खत्म कर दिया गया था। तब से जापान का एकमात्र अन्य राजकीय अंतिम संस्कार 1967 में राजनेता शिगेरू योशिदा के लिए आयोजित किया गया था, जिन्होंने जापान पर अमेरिकी कब्जे को समाप्त करने और मित्र राष्ट्रों के साथ संबंध बहाल करने के लिए सैन फ्रांसिस्को संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

योशिदा के अंतिम संस्कार की आलोचना होने के कारण बाद की सरकारों ने ऐसे आयोजन को कम कर दिया।

इतिहासकार जुनिची मियामा ने कहा, ‘‘राजकीय अंतिम संस्कार लोकतंत्र की भावना के विपरीत है।’’

आबे का राजकीय अंतिम संस्कार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा का कहना है कि आबे एक राजकीय अंतिम संस्कार के हकदार हैं क्योंकि वह जापान के आधुनिक राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेता थे और उनकी राजनयिक, सुरक्षा और आर्थिक नीतियों के चलते जापान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान बढ़ा।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि आबे के लिए राजकीय अंतिम संस्कार किशिदा के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसके तहत वह आबे के रूढ़िवादी राजनीतिक धड़े से संबंधित सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के सांसदों को खुश करना चाहते हैं ताकि सत्ता पर उनकी पकड़ मजबूत बनी रहे।

यह विवादास्पद क्यों है ?

वहीं, विरोधियों का कहना है कि कानूनी आधार नहीं होने के चलते आबे का राजकीय अंतिम संस्कार ‘‘अलोकतांत्रिक’’ होने के साथ ही किशिदा मंत्रिमंडल का एकतरफा फैसला है।

विरोधी इसे युद्ध काल में जापान के अत्याचारों पर आबे द्वारा पर्दा डालने, अधिक सैन्य खर्च के लिए उनके दबाव, लैंगिक भूमिकाओं पर उनके नजरिए, तानाशाह नेतृत्व और पूंजीपतियों के समर्थक के रूप में याद करते हैं। साथ ही अति-रूढ़िवादी ‘यूनिफिकेशन चर्च’ के साथ आबे और एलडीपी सांसदों के संबंधों पर अधिक जानकारी बाहर आने के साथ राजकीय अंतिम संस्कार का विरोध हो रहा है।

दक्षिण कोरिया से संबंध रखने वाले इस चर्च ने रूढ़िवादी साझा हितों के चलते एलडीपी सांसदों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए थे।

वकीलों के एक समूह ने राजकीय अंतिम संस्कार को रोकने के अनुरोध के साथ याचिका दायर की, लेकिन इसे सोमवार को कथित तौर पर खारिज कर दिया गया।

सरकार का कहना है कि आबे के राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम के लिए सुरक्षा, परिवहन एवं अन्य प्रबंधों पर करीब 1.18 करोड़ डॉलर का खर्च आयेगा।

अंतिम संस्कार से कुछ घंटे पहले मेहमान सुरक्षा जांच के लिए तोक्यो के ‘बुडोकन मार्शल आर्ट एरिना’ में इकट्ठा होंगे। किसी भी तरह का खाने-पीने का सामान अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होगी और कैमरों के उपयोग की अनुमति केवल मीडिया के लिए होगी। लगभग 1,000 जापानी सैनिक कार्यक्रम स्थल के चारों ओर तैनात रहेंगे।

आबे की पत्नी अकी आबे के बाद किशिदा सहित सरकार, संसदीय और न्यायिक प्रणाली से जुड़े प्रतिनिधि शोक प्रकट करेंगे और मौजूद लोगों को संबोधित करेंगे।

एपी शफीक नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)