निकाहनाम अस्पष्ट होने पर विवाद की स्थिति में पत्नी को लाभ मिलेगाः पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय

निकाहनाम अस्पष्ट होने पर विवाद की स्थिति में पत्नी को लाभ मिलेगाः पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - April 24, 2024 / 10:17 PM IST,
    Updated On - April 24, 2024 / 10:17 PM IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 24 अप्रैल (भाषा) पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि निकाह के समय हुई सहमति और निकाहनामे में लिखे गए इन नियमों व शर्तों में कोई अस्पष्टता होने पर किसी भी स्तर पर उत्पन्न विवाद की स्थिति में महिला को लाभ दिया जाएगा।

न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान और न्यायमूर्ति अतहर मिनुल्लाह की दो सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को एक युगल की तलाक से संबंधित अपील पर 10 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने बुधवार को बताया कि यह फैसला न्यायमूर्ति अतहर मिनुल्लाह द्वारा लिखा गया था।

मामले के तथ्यों के अनुसार, तलाक के बाद, एक महिला ने निकाहनामे में निर्धारित शर्तों के तहत दहेज और अन्य वस्तुओं की वापसी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। निकाहनामा एक इस्लामी विवाह अनुबंध है जिस पर दोनों भागीदारों द्वारा निकाह के समय हस्ताक्षर किए जाते हैं।

मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो महिला को निकाहनामे के कॉलम नंबर 17 में दर्ज जमीन का एक टुकड़ा दे दिया गया।

उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ, अपीलकर्ता ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया और कहा कि भूमि के टुकड़े का उद्देश्य यह था कि वहां एक घर बनाया जाएगा और जब तक शादी रहेगी तब तक महिला वहां रह सकती है। हालांकि, निकाहनामे में ऐसा कोई स्पष्टीकरण नहीं लिखा गया था।

मामले में न्यायालय के सामने कानूनी सवाल यह था: अगर निकाहनामे के नियमों और शर्तों में कोई अस्पष्टता थी, तो इसे कैसे हल किया जा सकता था? न्यायालय ने कहा कि यह एक स्थापित कानून है कि अनुबंध में कोई भी अस्पष्टता पार्टियों के इरादे से निर्धारित होती है।

हालांकि, इस मामले में फैसले में कहा गया है, निकाहनामे के नियमों और शर्तों की व्याख्या करने से पहले, यह भी विचार किया जाना चाहिए कि क्या दुल्हन को शादी के नियमों और शर्तों पर अपनी सहमति देने की पूरी स्वतंत्रता थी।

फैसले में कहा गया कि पुरुष-प्रधान समाज में नियम और शर्तें आम तौर पर दुल्हन की ओर से पुरुषों द्वारा तय की जाती हैं। इसलिए इसमें कहा गया है, अगर किसी और ने दुल्हन के सार्थक परामर्श के बिना निकाहनामे के कॉलम भर दिए तो इसका इस्तेमाल दुल्हन के हित के खिलाफ नहीं किया जा सकता है।

फैसले के मुताबिक, अगर निकाहनामे के नियम और शर्तों या किसी प्रविष्टि या कॉलम में अस्पष्टता या संदेह है तो पत्नी को इसका लाभ मिलेगा।

अखबार के मुताबिक,उच्चतम न्यायालय ने भी महिला को जमीन का एक टुकड़ा देने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी।

भाषा पवनेश माधव

माधव