CG Sakti Assembly News: नोबेल वर्मा.. कभी कांग्रेस ने ही पत्नी समेत कर दिया था निष्कासित, बागी बनकर जीत लिया था मैदान, पढ़े सियासी सफर

छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद जब साल 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने नोबेल वर्मा का टिकट काटकर रश्मि गबेल को अपना उम्मीदवार बनाया था।

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  • Publish Date - October 23, 2023 / 07:07 PM IST,
    Updated On - October 23, 2023 / 07:15 PM IST

सक्ती: टिकट वितरण के बाद से शुरू हुआ दल-बदल का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता अपनी पार्टी का साथ छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो रहे हैं। इसी कड़ी में खबर आ रही है कि NCP के प्रदेशाध्यक्ष रहे नोबेल वर्मा आज कांग्रेस की सदस्यता ले लिया है। जानकारी के अनुसार नोबेल वर्मा ने अपने 14421 कार्यकर्ताओं के साथ आज कांग्रेस प्रवेश किया है। इससे एनसीपी का छत्तीसगढ़ में अस्तित्व खतरे में आ गया है, आज सक्ती में आयोजित आम सभा में एनसीपी के प्रदेशाध्यक्ष ने अपने प्रदेश पदाधिकारी सहित पुनः घर वापसी की है।

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उन्होंने 14421 कार्यकर्ताओं को सूची सौंपकर सबको कांग्रेस को सदस्य्ता दिलाई है। नोवेल वर्मा मध्यप्रदेश सरकार में राज्य मंत्री रहे हैं, साथ ही एनसीपी से विधायक भी रहे हैं। उनके आने से कांग्रेस को चंद्रपुर और सक्ती विधानसभा में लाभ हो सकता है।

हुए थे कांग्रेस से निष्कासित

बता दे कि अविभाजित मप्र में मंत्री रहे नोबेल वर्मा और उनकी पत्नी सुमन वर्मा को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने पार्टी से 6 साल से निष्कासित कर दिया था। उन पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ काम करने के आरोप लगे थे। इस दौरान उनकी पत्नी सुमन वर्मा चंद्रपुर विधानसभा से एनसीपी की टिकट पर चुनाव लड़ रही थी।

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तब नोबल वर्मा चंद्रपुर सीट से खुद कांग्रेस की टिकट के दावेदार थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला था। ऐसे में उनकी पत्नी एनसीपी से प्रत्याशी रही। वर्मा पहले एनसीपी की टिकट से विधायक रहे थे। 2013 में उन्होंने एनसीपी से वापस कांग्रेस प्रवेश किया था। तब कांग्रेस ने उन्हें चुनाव के लिए टिकट दी थी लेकिन वे तीसरे नंबर पर आए थे।

नोबेल की सियासी विरासत

बात अगर चंद्रपुर विधानसभा की करें तो 1962 से लेकर अब तक 13 विधायक हुए हैं। इसमें 8 बार कांग्रेस के विधायक, 4 बार भाजपा और एक बार एनसीपी ने विधानसभा चुनाव में फतह की है। कांग्रेस के भवानी लाल वर्मा का इस पूरे क्षेत्र में दबदबा माना जाता रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र से पांच बार विधानसभा चुनाव जीता है। पांच बार के विधायक रहे भवानी लाल वर्मा के बेटे नोबेल कुमार वर्मा ने भी यहां से दो बार चुनाव जीता। नोबेल वर्मा ने पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर साल 1996 में लड़ा और जीत दर्ज की। 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से नोबेल पर विश्वास जताया और उन्हें मैदान में उतारा, लेकिन इस बार उन्हें भाजपा की रानी रत्नमाला देवी ने 11006 वोटो से मात दे दी।

छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद जब साल 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने नोबेल वर्मा का टिकट काटकर रश्मि गबेल को अपना उम्मीदवार बनाया था। इस बात से नाराज होकर नोबेल वर्मा एनसीसी की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे और 12431 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। वही 2013 के चुनाव में नोबेल वर्मा को हार का सामना करना पड़ा।

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