Gujarat Election 2022 Voting: गुजरात की ये सीट भाजपा नेताओं के लिए बना नाक का सवाल, कभी अमित शाह जीते थे 1 लाख से अधिक वोट से

गुजरात की ऐसी कई सीटें हैं, जहां भाजपा पिछले डेढ़ दसक से सुखा काट रही है! BJP Will Lose Gandhinagar Seat This Time?

Gujarat Election 2022 Voting: गुजरात की ये सीट भाजपा नेताओं के लिए बना नाक का सवाल, कभी अमित शाह जीते थे 1 लाख से अधिक वोट से

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Modified Date: December 5, 2022 / 10:30 am IST
Published Date: December 5, 2022 10:30 am IST

गांधीनगर: BJP Will Lose Gandhinagar Seat  गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए आज मतदान लगातार जारी है। पीएम मोदी सीएम भूपेंद्र पटेल, हार्दिक पटेल सहित कई दिग्गजों ने मतदान केंद्र तक पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। लेकिन गुजरात की ऐसी कई सीटें हैं, जहां भाजपा पिछले डेढ़ दसक से सुखा काट रही है। वहीं इस बार चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जो भाजपा नेताओं के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। इन सीटों पर सबकी नजर टिकी हुई है। खैर क्या होगा इस सीटों के प्रत्याशियों का ये तो 8 दिसंबर को पता चल ही जाएगी।

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BJP Will Lose Gandhinagar Seat  जिन सीटों पर भाजपा कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है कि उनमें से एक सीट गांधीनगर साउथ भी है। फिलहाल इसे भाजपा के लिए सुरक्षित सीटों में गिना जाता है। हालांकि कांग्रेस ने इस सीट पर पूरा जोर लगा दिया है। गांधीनगर से केवल दो किलोमीटर दूर तारापुर गांव के रहने वाले हिमांशु पटेल यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। इस गांव की आबादी 2000 के करीब है। पटेल ने अपने क्षेत्र में डोर टु डोर कैंपेन किया है।

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हिमांशु पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार ने इस क्षेत्र में 66 सरकारी स्कूल बंद कर दिए। बहुत सारे शैक्षिक संस्थान जो गांव के लोगों को शिक्षित करना चाहते हैं उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा है। नर्मदा के पानी को सिंचाई के लिए उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है। म्युनिसिपल कॉर्पोरेटर भी इस इलाके की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं। बता दें कि पटेल इससे पहले 2002 में सरखेज से अमित शाह के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। वह शाह के खिलाफ करीब एक लाख वोट से हार गए थे।

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इस सीट पर भाजपा का बोलबाला रहा है। 2007 में यहां से भाजपा प्रत्याशी शंभूजी ठाकोर ने जीत हासिल की थी। हाला्ंकि 2009 में परिसीमन के बाद इस सीट को दो भागों में बांट दिया गया। इस विधानसभा सीट में कुछ गांव अहमदाबाद जिले के भी आते हैं। भाजपा ने 2012 और 2017 में भी यहां से जीत हासिल की थी। हालांकि इस बार अल्पेश ठाकोर के नामांकन के बाद चीजें बदल गई हैं। ठाकोर भाजपा के खिलाफ आंदोलन कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा ने तीन बार के विधायक शंभूजी का टिकट काटकर अल्पेश पर भरोसा जताया है। हालांकि यह देखना बाकी है कि जनता उनपर कितना भरोसा जताती है।

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अल्पेश ठाकोर, ओबीसी, एससी,एसटी एकता मंच के मुख्य चेहरे रह चुके हैं। पाटीदार आंदोलन के बाद वह काफी सुर्खियों में थे। वह हार्दिक पटेल के आंदोलन का विरोध कर रहे थे। हालांकि आज स्थिति यह है कि हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर दोनों ही भाजपा में है। ठाकोर ने पहले भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला और फिर वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 2017 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव भी लड़ा और जीत भी हासिल की। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी का साथ छोड़ दिया।

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2019 में हुए उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर ठाकोर ने चुनाव लड़ा था लेकिन वह कांग्रेस के रघु देसाई से हार गए थे। राधनपुर सीट पर विधायक रहते हुए दो साल में उन्होंने विधायक निधि से एक रुपया नहीं खर्च किया। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके अपने समुदाय में भी काफी विरोध हो रहा है। जब भाजपा ने उन्हें गांधीनगर साउथ से टिकट दिया तब भी लोगों पोस्टर लगाए औऱ कहा कि उनकी जरूरत यहां नहीं है। हर बार यहां भाजपा और कांग्रेस में ही टक्कर होती थी लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी मुकाबले में है। आप ने यहां से एक किसान दौलत पटेल को टिकट दिया है।

 

 

 

 

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