कुशवाहा अब पार्टी संसदीय बोर्ड के प्रमुख नहीं हैं : जदयू अध्यक्ष |

कुशवाहा अब पार्टी संसदीय बोर्ड के प्रमुख नहीं हैं : जदयू अध्यक्ष

कुशवाहा अब पार्टी संसदीय बोर्ड के प्रमुख नहीं हैं : जदयू अध्यक्ष

:   Modified Date:  February 7, 2023 / 12:09 AM IST, Published Date : February 7, 2023/12:09 am IST

पटना, छह फरवरी (भाषा) जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने सोमवार को कहा कि असंतुष्ट नेता उपेंद्र कुशवाहा अब पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं हैं।

ललन ने कहा, ‘‘कुशवाहा, अब केवल जदयू के एमएलसी हैं। हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री अगर पार्टी में रहेंगे, मन से रहेंगे तो पार्टी के शीर्ष पद पर फिर से आसीन हो सकते हैं।’’

ललन ने कहा, ‘‘दिसंबर में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया गया था। उसके बाद से किसी अन्य पदाधिकारी को नियुक्त नहीं किया गया है। इसलिए कुशवाहा तकनीकी रूप से अब संसदीय बोर्ड के प्रमुख नहीं हैं।’’

उल्लेखनीय है कि कुशवाहा अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करके जदयू में लौटने के बाद मार्च, 2021 से पार्टी के शीर्ष पद पर काबिज थे।

जदयू के शीर्ष नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी में कुशवाहा का स्वागत करते हुए उन्हें जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की थी।

ललन का यह बयान कुशवाहा द्वारा पार्टी कैडर को लिखे गए एक खुले पत्र के ठीक बाद आया है जिसमें उन्होंने अगले सप्ताह दो दिवसीय एक सम्मेलन में भाग लेने का आग्रह किया है जिस दौरान जदयू को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार कारकों, जिसमें राजद के साथ एक अफवाह भरा ‘‘एक खास डील’’ भी शामिल है, पर चर्चा की जाएगी।

जदयू अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कुशवाहा का दावा है कि वह पार्टी की भलाई के बारे में चिंतित हैं जबकि प्रत्येक दिन अपने असंतोष को सार्वजनिक कर इसे नुकसान पहुंचा रहे हैं।’’

कुशवाहा उस वक्त से खफा हैं जब नीतीश ने राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ-साथ उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलों को खारिज कर दिया था। उन्होंने दावा किया है कि जदयू में उनकी वापसी नीतीश के कहने पर हुई थी। उन्होंने दावा किया, ‘‘मुख्यमंत्री ने इच्छा व्यक्त की थी कि मैं उनके बाद पार्टी चलाऊं।’’

ललन ने कुशवाहा के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि पार्टी का पद एक लॉलीपॉप की तरह था और चुनावों में उम्मीदवारों का फैसला करते समय उनसे सलाह नहीं ली गई थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या दुराग्रह से कुशवाहा को विधान परिषद का पद गंवाना पड़ सकता है, जदयू प्रमुख ने कहा, ‘‘यह कहना मेरे बस की बात नहीं है। किसी सदस्य को अयोग्य ठहराना सदन के सभापति का विशेषाधिकार होता है।’’

भाषा अनवर अर्पणा

अर्पणा

 

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