बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ‘विकल्प खुला’ है : एसआईआर विवाद पर तेजस्वी यादव

बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ‘विकल्प खुला’ है : एसआईआर विवाद पर तेजस्वी यादव

बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ‘विकल्प खुला’ है : एसआईआर विवाद पर तेजस्वी यादव
Modified Date: July 24, 2025 / 10:30 pm IST
Published Date: July 24, 2025 10:30 pm IST

पटना, 24 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर पैदा विवाद के मद्देनजर उनकी पार्टी और उनके सहयोगियों के पास राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ‘‘विकल्प खुला’’ है।

इसके जवाब में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नेताओं ने दावा किया कि यादव की टिप्पणी से संकेत मिलता है कि विपक्षी दल ने ‘‘हार मान ली है’’।

विपक्ष के नेता ने मानसून सत्र के अंतिम पूर्व दिन राज्य विधानसभा के बाहर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की।

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यादव ने विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपना रुख कड़ा कर लिया। इससे कुछ ही मिनट पहले उन्होंने सदन को बताया कि वह ‘‘वास्तव में एसआईआर के विरोधी नहीं हैं’, लेकिन जिस तरीके से निर्वाचन आयोग यह प्रक्रिया अपना रहा है, उससे कई आशंकाएं पैदा हो रही हैं।

यादव ने कहा, ‘‘हम विधानसभा चुनावों के बहिष्कार का विकल्प खुला रख रहे हैं। समय आने पर, हम गठबंधन सहयोगियों के साथ चर्चा के बाद कोई निर्णय लेंगे। एसआईआर के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह किसी धोखाधड़ी से कम नहीं है।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मतदाताओं की ओर से बूथ-स्तरीय अधिकारी गणना प्रपत्रों पर अपने हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान लगा रहे हैं। खाली प्रपत्रों का इस्तेमाल रद्दी कागज की तरह किया जा रहा है। इन विसंगतियों की ओर इशारा करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों पर प्राथमिकियां दर्ज की जा रही है और सरकार को यह सब ठीक लग रहा है क्योंकि निर्वाचन आयोग सत्ताधारी दल के एक राजनीतिक औजार की तरह काम कर रहा है।’’

यादव ने हाल में बेगूसराय में स्वतंत्र पत्रकार अजीत अंजुम के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को लेकर भी निशाना साधा।

निर्वाचन आयोग के अनुसार, बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान के तहत घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण के दौरान, चुनाव अधिकारियों ने अब तक पाया है कि 52 लाख से ज़्यादा मतदाता अपने पते पर मौजूद नहीं थे और 18 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

विपक्षी दलों ने दावा किया है कि निर्वाचन आयोग की इस कवायद से करोड़ों पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।

राजद ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का भी रुख किया है।

एसआईआर के खिलाफ विरोध स्वरूप पिछले कुछ दिनों से काले कपड़े पहनकर राज्य विधानसभा में आ रहे विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को अध्यक्ष ने बयान देने की अनुमति दे दी। कुछ मंत्रियों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।

यादव ने दुख व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर “एक शब्द भी नहीं कहा”, जबकि संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने “केवल वार्षिक मतदाता पुनरीक्षण को वर्तमान में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण से जोड़ने की कोशिश की।”

यादव ने दलील दी कि राज्य के “लगभग चार करोड़ लोग” उच्च शिक्षा प्राप्त करने या करियर की तलाश में अन्य राज्यों में रहते हैं और उनमें से कई, जो अपने वर्तमान निवास स्थान पर पंजीकृत नहीं हैं, वे अपने गृह राज्य में मतदान करना चाह सकते हैं।

यादव ने कहा, ‘‘हमें संदेह है कि ऐसे कई लोगों के नाम मतदाता सूची से सिर्फ इसलिए हटा दिए जाएंगे क्योंकि वे बिहार में अपने पंजीकृत पते पर नहीं पाए गए।’’

राजद नेता ने मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि गणना प्रपत्र बूथ स्तर के अधिकारियों द्वारा भरे और हस्ताक्षरित किए जा रहे हैं और ऐसा निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की जल्दी में किया जा रहा है और कई स्थानों पर ऐसे प्रपत्र सड़कों पर फेंके हुए पाए गए।

यादव ने आरोप लगाया, ‘‘इतनी सारी विसंगतियों के बावजूद, सत्तारूढ़ राजग चुप है, जबकि उनके नेता भी उसी मतदाता सूची में पंजीकृत मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं। निष्कर्ष स्पष्ट है। निर्वाचन आयोग एसआईआर के जरिए सत्तारूढ़ गठबंधन की मदद करने की कोशिश कर रहा है।’’

राजद की सहयोगी कांग्रेस ने भी दिल्ली में कहा कि बिहार में एसआईआर की ‘‘तुगलकी प्रक्रिया’’ का सभी मंचों पर विरोध किया जाएगा और ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए ‘‘सभी विकल्प खुले हैं’’।

बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ से जब तेजस्वी की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका अभिप्राय है कि ‘‘विपक्ष ने हार मान ली है’’।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दावा किया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासन में बिहार में विस्थापन कम हुआ है और केवल “राज्य की कुल आबादी का दो-तीन प्रतिशत” ही देश के अन्य हिस्सों में जीवन यापन कर रहा है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए यादव ने कहा, “मैंने उन्हें केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संसद में दिए गए बयान का ‘प्रिंटआउट’ भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बिहारी प्रवासियों की संख्या तीन करोड़ से अधिक है।”

राजद नेता ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार यह तय करना चाहती है कि उसे कौन वोट दे सकता है। निर्वाचन आयोग उच्चतम न्यायालय की उस सलाह पर भी ध्यान नहीं दे रहा है, जिसमें उसने उसे स्वीकार्य दस्तावेज की सूची में आधार कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने पर विचार करने को कहा था।’’

राजग के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि वे हार के डर से विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दे रहे हैं, इस पर यादव ने कहा, ‘‘अगर हम लड़ाई से डरते, तो हम चुनाव दर चुनाव नहीं लड़ते और भाजपा व सहयोगियों को कड़ी टक्कर नहीं देते।’’

उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘असली खेल’’ एक अगस्त से शुरू होगा, जब चुनाव आयोग मसौदा मतदाता सूची तैयार करना शुरू करेगा और मतदाताओं को अपने दावे या आपत्तियां दर्ज कराने की अनुमति दी जाएगी।

यादव ने भाजपा विधायक जनक सिंह पर भी निशाना साधा। यादव ने सिंह पर “उनकी मां और बहनों के खिलाफ अपशब्द कहने” का आरोप लगाया।

उन्होंने दावा किया कि भाजपा के एक अन्य विधायक संजय सिंह को अपनी मेज पर लगे माइक को उखाड़कर विपक्ष की ओर बढ़ते देखा गया।

अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कार्यवाही स्थगित कर स्थिति को संभाला।

बाद में, राजद नेता ने मीडियाकर्मियों के सामने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि भाजपा नेता, ‘‘मुझे धमकाने के लिए तैयार होकर आए थे। अगर उन्हें खुशी मिलती है तो वे मुझे मरवा दें। मैं कोई बचाव नहीं करूंगा। मैं अपना लाइसेंसी हथियार सौंपने को तैयार हूं।’’

भाषा

देवेंद्र रंजन

रंजन


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