संजय सरावगी : अभाविप कार्यकर्ता से भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष तक का सफर
संजय सरावगी : अभाविप कार्यकर्ता से भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष तक का सफर
(फाइल फोटो के साथ)
पटना, 15 दिसंबर (भाषा) अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) से अपना राजनीतिक ककहरा सीखकर अपने सांगठनिक कौशल के दम पर बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष तक सफर तय करने वाले संजय सरावगी मिथिला क्षेत्र से आते हैं और उनका संबंध वैश्य समुदाय है।
छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे सरावगी करीब दस वर्ष तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने अभाविप में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। बाद में वह भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) से जुड़े और 1999 में भाजपा की जिला इकाई में मंत्री बने, जिसे उनकी मुख्यधारा की राजनीति में औपचारिक शुरुआत माना जाता है।
बिहार के दरभंगा में 28 अगस्त 1969 को जन्मे सरावगी वैश्य समुदाय से आते हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने वाणिज्य स्नातोकोत्तर और ‘एमबीए’ की डिग्री हासिल की। हालांकि व्यावसायिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद उन्होंने सार्वजनिक जीवन को ही अपने करियर के रूप में चुना।
वर्ष 2001 में सरावगी को दरभंगा नगर मंडल भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिसके बाद स्थानीय संगठन में उनकी पकड़ मजबूत होती चली गई। वह 2002 में दरभंगा नगर निगम के वार्ड पार्षद चुने गए और 2003 में जिला भाजपा के महामंत्री बने। इन भूमिकाओं के जरिए उनकी पहचान एक जमीनी और मजबूत नेता के तौर पर बनी।
सरावगी लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। फरवरी 2005 में वह पहली बार दरभंगा सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद नवंबर 2005, 2010, 2015, 2020 और 2025 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने जीत दर्ज की।
सरावगी 2017 में बिहार विधानसभा की प्राकलन समिति के अध्यक्ष रहे। क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर सक्रिय रहने के कारण उनकी छवि एक मेहनती और सुलभ जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित हुई।
फरवरी 2025 में सरावगी को बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। मंत्री के रूप में भूमि सुधार, राजस्व प्रबंधन और गरीबों के लिए वासभूमि उपलब्ध कराने से जुड़ी योजनाओं धरातल पर उतारने के लिए वह सक्रिय रहे थे।
भाषा कैलाश
राजकुमार
राजकुमार

Facebook



