NindakNiyare_याद आए वो महावतार जब अयोध्या में मनी 25 लाख दियों वाली दिवाली

Modified Date: October 30, 2024 / 08:23 PM IST
Published Date: October 30, 2024 8:23 pm IST

बरुण सखाजी

यह बात संभवतः सुप्रीम कोर्ट के रामलल्ला मंदिर पर आए वरडिक्ट से पहले की है। मैं दिवाली पर उदयपुरा में था। पंचमुखी पर महाराज जी परमहंस श्रीराम बाबाजी विराजमान थे। अपने गांव जाने से पूर्व मैं पंचमुखी पर गुरुवर की सेवा में था। दिवाली के दिन मैं दिन में गांव जाने की आज्ञा लेने गया तो महाराज जी ने कहा, रात को दिवाली की पूजा करके आ जाना। गुरुवर का आदेश मानकर मैं रात को आया। तब तक पंचमुखी हनुमान मंदिर, उदयपुरा में सारी तैयारी हो चुकी थी। बड़ी संख्या में दिए और तेल, बत्ती लाई गई थी। रात को करीब 11 बजे होंगे। महाराज जी का आदेश हुआ। चलो पूरे उदयपुरा में दिवाली मनेगी। मैं और दो साथी और थे। हम सब निकल पड़े। पहले पहुंचे गांधी चबूतरा। यहां पर अनेक दिए रखे गए। महाराजजी ने बोला अब बस मंदिर बन ही गया। अब देखना अयोध्या की दिवाली। राम की दिवाली होने वाली है। सबसे बड़ी। अब रामलल्ला त्रिपाल से बाहर आने वाले हैं। अब कोई रोकना वाला नहीं है। योगी आ गया है। इधर दिल्ली में नरेंद्र है। नर इंद्र, मतलब नरों का इंद्र। वो इंसान नहीं है। उधर यूपी में योगी है। योगी मतलब जोड़ने वाला। योग। तो योगफल आने वाला है अब। ऐसी अटपट वाणी में प्रभु ने बोला।

महाराज जी ने सारा गांधी चबूतरा दियों से जगमग करवा दिया। जय श्री राम के उच्च स्वरों में नारे लगवाए। मुझे ठीक से याद नहीं यह साल कौन सा था। किंतु मेरे मन में बैठा पत्रकार यह कह रहा था कि रामलल्ला त्रिपाल से बाहर इतनी आसानी से नहीं आ पाएंगे। क्योंकि मेरे मन में यह दृढ़ भरोसा था कि लोकसभा चुनावों में भाजपा को इस फैसले का बड़ा फायदा होगा। इसलिए कोर्ट चुनाव से पहले नहीं सुनाएगा। और हुआ भी ऐसा ही। कोर्ट ने फैसला अगस्त में चुनावों के बाद सुनाया। सारे राजनीतिक प्रपंच हुए। सारी चालाकियां हुईं। यह विषय अलग है। लेकिन महाराज जी की वाणी सत्य हुई। अयोध्या में दिव्य और भव्य दिवाली मनेगी।

आज जब मैंने सुना अयोध्या में 25 लाख 12 हजार 585 दियों की रोशनी हुई। दियों का चमत्कार हुआ। दियों की सनातनी ऊर्जा फैली। यह सुन, देखकर मेरा मन भावुक हो गया। महाराज जी आपकी भौतिक मौजूदगी के बिना जीवन में बहुत बड़ा खालीपन आया है। मन सोच रहा है अब जाएं तो कहां जाएं। कौन है एक ठिया। खासकर मुझ जैसे निकृष्ट व्यक्ति के लिए, जो हर चीज में शंका करता है। जिसका जिज्ञासु मन खोजना तो बहुत कुछ चाहता है, लेकिन हजारों तरह से उसे टेस्ट करना चाहता है। मेरा मन जो किसी चमत्कार में कभी कोई विश्वास नहीं करता। हे परमात्मा, आपके चरणों में आपकी ही कृपा से मेरा मन लग गया था। आप कहा करते थे लौ लगी रहे। वह लौ कैसे लगती है निरा मूर्ख कैसे जानता, लेकिन आपकी कृपा ने मन लगा दिया। जो बना, जो हुआ, जैसा हुआ, जैसा बना, जैसा हूं, जैसा जो है सब आपका है। आपका दिया हुआ है। दिवाली पर आपकी इतना अधिक स्मृति इस भौतिक पंचभूत में फंसे मन को बहुत व्यथित और विचलित कर रही है। हर पल लग रहा है भगवान आप क्यों चले गए? जाते सब हैं, किंतु आप क्यों चले गए?

जय हो हनुमानजी परमहंस श्रीराम बाबाजी की

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Associate Executive Editor, IBC24 Digital